Farmers Protest : भारतीय किसान संघ ने कहा आंदोलन की मांगों को समर्थन लेकिन हिंसक आंदोलन को नहीं

Farmers Protest : भारतीय किसान संघ ने कहा आंदोलन की मांगों को समर्थन लेकिन हिंसक आंदोलन को नहीं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की Farmers Wing भारतीय किसान संघ ने MSP Guarantee कानून बनाने की मांग पर चल रहे किसान आंदोलन की मांग के प्रति अपना सरोकार व्यक्त किया है. हालांकि BKS ने स्पष्ट किया है कि यदि पिछले आंदोलन की तरह यह आंदोलन हिंसक होता है, तो ऐसे आंदोलन का कतई समर्थन नहीं किया जाएगा.

न‍िर्मल यादव
  • New Delhi,
  • Feb 15, 2024,
  • Updated Feb 15, 2024, 2:07 PM IST

भारतीय किसान संघ (BKS) देश के गांवों में ग्रामीण विकास के कामों के साथ भारतीय परंपरागत कृष‍ि को बढ़ावा देने के लिए RSS के अनुषांगिक संगठन के तौर पर काम करता है. किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए बीकेएस की ओर से केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है. इस क्रम में केंद्र सरकार द्वारा दो साल पहले हुए किसान आंदोलन के बाद गठित की गई MSP Committee में भी बीकेएस के प्रतिनिधि मौजूद हैं. इस कमेटी द्वारा दो साल में अपनी सिफारिशें सरकार को अब तक नहीं दे पाने के बाद SKM यानी संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) के आह्वान पर एक बार फिर 13 फरवरी से किसान आंदोलन शुरू किया गया है. इस आंदोलन के प्रति बीकेएस ने अपने समर्थन को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने की मांग को लेकर संघर्ष जायज है, लेकिन इस मांग की आड़ में हिंसक आंदोलन का समर्थन नहीं किया जा सकता है.

आंदोलन की मंशा संदेहास्पद

बीकेएस के महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने बयान जारी कर कहा कि किसानों की उपज का लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिलाने की मांग को लेकर बीकेएस लगातार संघर्ष कर रहा है. देश की सरकारों के साथ संवाद कर किसानों के पक्ष को मजबूती से रखा जाता रहा है. मिश्र ने कहा कि जहां संवाद से रास्ता नहीं निकलता है, वहां आंदोलन भी किया जाता है, लेकिन लोकतंत्र में हिंसक आंदोलन का कतई समर्थन नहीं किया जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि जब राजनैतिक मंशा से किसानों का इस्तेमाल कर राजनैतिक हित साधना पीड़ादायक है. बीकेएस का मानना है कि जब किसान के नाम पर राजनैतिक आंदोलन चलता है, तो इससे सिर्फ किसानों को नुकसान होता है. विगत वर्षों में एमपी के मंदसौर एवं दिल्ली में हुये आंदोलन इस बात के प्रमाण हैं. इन आंदोलनों में निर्दोष किसानों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी.

किसान राजनीतिक मोहरा न बनें

मिश्र ने कहा कि राजनीतिक मंशा से प्रेरित आंदोलनों के मुद्दे एवं उनकी मांग आज भी जस की तस हैं. इसलिये बीकेएस का आग्रह है कि किसानों के नाम पर राजनीतिक चुनावी पैंतरेबाजी बंद होनी चाहिए. किसान हित में लड़ने वाले संगठन लगातार किसानों की समस्या के निवारण के लिये लड़ रहे हैं. सरकार किसी भी दल की हो, सामंजस्य से किसानों की समस्याओं का समाधान निकाल भी रहे हैं.

उन्होंने कहा कि एमएसपी गारंटी मिलना किसान का हक है. वह उसे मिलना ही चाहिये. मिश्र ने माना कि मौजूदा दौर में बीज एवं बाजार, किसानों की प्रमुख समस्या है. मंडी के अंदर हो या मंडी के बाहर, किसान के साथ बीज और बाजार के नाम पर हो रहा शोषण बंद होना चाहिये.

उन्होंने कहा कि जब राजनीतिक मंशा से चुनाव के दौरान किसान के नाम पर आंदोलन होते हैं, तब इनमें हिंसा भी होती है. इस अराजक माहौल में राष्ट्र की संपत्ति का नुकसान होने से किसानों के प्रति समाज में नकारात्मक भाव जन्म लेता है. इसका खामियाजा अपनी बेहतरी के लिये संघर्षरत किसानों को ही चुकाना पड़ता है. इसलिये बीकेएस हिंसक आंदोलन का समर्थन नहीं करता है. हमारा आग्रह है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा वाले लोग, राजनीतिक तरीकों से ही इसे पूरा करें, किसानों को ढाल बना कर अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा न करें.

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बीकेएस की मांग

मिश्र ने स्पष्ट किया कि बीकेएस किसानों को उपज की लागत पर लाभकारी मूल्य दिलाने की मांग का हिमायती है. उन्होंने कहा कि लागत के आधार पर उपज का लाभकारी मूल्य मिलना किसान का अधिकार है. इसके साथ ही बीकेएस कृषि से जुड़ी वस्तुओं एवं यंत्रों पर लग रहे GST को भी समाप्त करने की मांग कर रहा है.

मिश्र ने कहा कि बीकेएस की अन्य प्रमुख मांगों में किसान सम्मान निधि PMKSY में बढ़ोतरी करना, जहरीली खेती के बजाय Natural Farming को बढ़ावा देने के लिए GM Seeds की अनुमति नहीं देना, किसानों काे बीज का अधिकार दिलाना और उपज के घोषित समर्थन मूल्य से बाजार भाव नीचे न जाए, यानी एमएसपी की गारंटी दिलाना शामिल है.

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