मध्य प्रदेश में मूंग किसान विरोध कर रहे हैं. राज्य के किसान राज्य सरकार की मूंग नीति 2024 का विरोध कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि इस नीति में संशोधन किया जाए, क्योंकि राज्य सरकार की इस नई नीति से राज्य के किसानों को 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. फिलहाल किसानों का यह विरोध हरदा और नर्मदापुरम जिले में केंद्रित है. इन दो जिलों में विरोध अधिक देखा जा रहा है क्योंकि इन दोनों ही जिले के किसान राज्य के कुल मूंग उत्पादन का 50 फीसदी से अधिक उत्पादन करते हैं. जबकि मध्य प्रदेश के 32 जिलों में किसान मूंग की खेती करते हैं.
किसान ऐसे समय में विरोध कर रहे हैं जब राज्य में मूंग की बंपर पैदावार हुई है. आमतौर पर प्रदेश में प्रति वर्ष 15-16 लाख मिट्रिक टन के बीच मूंग का उत्पादन होता है. जबकि इस साल प्रदेश में मूंग का उत्पादन करीब 20 लाख टन हुआ है. बंपर उत्पादन होने के बाद भी सरकार का कहना है कि वो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से तीन-चार लाख टन ही मूंग की खरीद करेगी. बाकी बचे हुए मूंग को किसानों को खुले बाजार में बेचना होगा. जहां पर किसानों को एमएसपी से कम कीमत मिलेगी. मध्य प्रदेश में मूंग की एमएसपी 8,585 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि खुले बाजार में इसकी कीमत इससे 1000 रुपये कम हैं. किसानों का कहना है कि एमएसपी से कम कीमत पर बेचने से उन्हें कुल 1500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
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स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह अंजना ने बताया कि राज्य की नई मूंग नीति 2024 के तहत सरकार एमएसपी पर 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से मूंग की खरीद करेगी. जबकि पहले यह 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था. इसके अलावा, एक दिन में मंडी में एक किसान से केवल 25 किलो की मूंग की खरीद की जाएगी, जबकि पहले एक ट्रॉली में लगभग 40 किलो की खरीद होती थी. इसके कारण किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए मंडी में दो दिन रुकना होगा.
प्रदेश के एक मूंग किसान केदार सिरोही ने कहा कि नई मूंग नीति से राज्य के किसानों को 1500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. क्योंकि सरकार की तरफ से एमएसपी पर सिर्फ 3-4 लाख मिट्रिक टन मूंग की ही खरीद की जाएगी. जबकि राज्य में कुल मूंग उत्पादन 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक है. इसलिए किसानों को लगभग 15 लाख मीट्रिक टन मूंग खुले बाजार में एमआरपी पर बेचना होगा जो एमएसपी से 1000 रुपये कम है. इस तरह से किसानों को बड़ा नुकसान होगा. वहीं एक अन्य किसान चंद्रकांत गौड़ ने कहा कि 'मूंग नीति में छोटी तौल मशीनों पर उपज तौलने का प्रावधान है. जबकि किसान मांग कर रहे हैं कि बड़ी मशीनों का इस्तेमाल किया जाए, जिसका इस्तेमाल आम तौर पर उपज तौलने के लिए होता है.
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किसानों के विरोध और मूंग नीति को लेकर बोलते हुए कृषि सचिव एम सेलवेंद्रन ने कहा कि केंद्र सरकार का प्रयास है कि बाजार में एमआरपी और एमएसपी के बीच संतुलन बना रहे और बाजार में स्थिरता बनी रहे इसलिए नई मूंग नीति लाई गई है. क्योंकि मूंग के भंडारण के बाद सरकार को हमेशा 2000 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान होता है. फिलहाल खुले बाजारों में मूंग 7,500 से 7,900 रुपये के बीच बिक रहा है और एमएसपी करीब 8,500 रुपये है. जो किसान अच्छी क्वालिटी की मूंग लेकर आएंगे उन्हें खुले बाजार में भी 8,000 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान किया जाएगा.