महाराष्ट्र् के नांदेड़ में किसानों का प्रदर्शन पिछले एक महीने से जारी है. अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर चल रहे इस विरोध प्रदर्शन के तहत हजारों किसानों ने नांदेड़ तहसील कार्यालय में आक्रोश मार्च निकाला. इस आक्रोश मार्च में हजारों किसान शामिल हुए. प्रदर्शन कर रहे किसानों का आरोप है कि नांदेड़ जिले के मुखेड़ तहसील के बारा गांव में एक बांध बनाया गया था, जिसके कारण कई किसान परिवार विस्थापित हुए थे. आज वो परिवार पिछले 35 वर्षों से पुनर्वास और मुआवज के लाभ से वंचित है. किसानों ने मांग करते हुए कहा कि विस्थापित परिवारों के पढ़े लिखे युवाओं को नौकरी दी जाए, इसके साथ ही उन्हें मुआवजा और घर दिया जाए.
प्रदर्शन कर रहे किसानों का ने बताया कि राज्य सरकार की उदासीन नीतियों के कारण यह लोगों को यह परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि राज्य की एकमात्र लेंडी अंतराज्यीय सिंचाई परियोजना का कार्य पिछले 35 वर्षों से लंबित पड़ा हुआ है. इसके कारण डूबा प्रभावित 12 गांवों के लोग पिछले तीन दशकों से परेशानियों का सामना कर रहे हैं. क्योंकि हर साल साल उन्हें बाढ़ का सामना करना पड़ता है. उनकी जमीन बांध निर्माण में चली गई है पर अभी तक उनका विस्थापन नहीं किया गया है. ना ही उन्हें मुआवजा दिया गया है, इसके बाद भी किसान हर साल बाढ़ जैसी आपदा झेल रहे हैं.
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किसानों का कहना है कि सरकार की नीति उन्हें ना ही मरने दे रही है और ना ही जीने दे रही है. इसके कारण लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. इसके तहत 12 गांवों के बाढ़ प्रभावित लोग अपने लिए न्याय और हक की मांग को लेकर लेडी बांध के किनारे पिछले 30 दिनों से भूख हड़ताल पर थे. लगातार भूख हड़ताल करने के बाद बारा गांव के बांध प्रभावित हजारों किसानों से अपनी मांगों को लेकर विरोध मार्च निकाला और जोरदार प्रदर्शन किया. गौरतलब है कि मुखेड़ तहसील के गोनेगांव में बन रहे अंतराज्यीय परियोजना के तहत बन रहे लेंडी बांध पर पिछले 35 वर्षों काम चल रहा हैं पर अभी तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है.
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लेंडी बांध संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजू पाटील ने कहा कि परियोजना पीड़ितों की एक पीढ़ी पिछले 35 वर्षों से अपनी मांगों को लेकर सरकार से लड़ रही है, पर राज्य सरकार की तरफ से उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. परियोजना के निर्माण कार्य पूरा होने में हो रही देरी के कारण आज परियोजना की लागत 54 करोड़ रुपये बढ़कर 2500 करोड़ रुपये हो गई है लेकिन बांध का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है. इस बांध का निर्माण मुक्रमाबाद, गोनेगांव, एटग्याल, भसवाड़ी, भाटापुर, रावनगांव, मरजावाड़ी, कोलनूर, भिनगोली, भेंडेगांव, खुर्द भेंड़ेगांव , बुहसनल और वलंकी समेत अन्य गांवों की तीन हजार हेक्टेयर जमीन पर किया जा रहा है. इन गांवों के घर और खेत डूबा क्षेत्र में जा रहे हैं. पर इसके बावजूद सरकार ने पिछले 35 वर्षों से गांवों में बांध पीड़ितों के घरों और खेती के पुनर्वास की समस्या का समाधान नहीं किया और बांध कार्य का मुआवजा नहीं दिया है.