
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में सामने आए अंतरराष्ट्रीय किडनी तस्करी रैकेट की परतें लगातार खुलती जा रही हैं. इस मामले में सोलापुर से पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके रामकृष्णा सुन्चु उर्फ डॉ कृष्णा के बाद अब पुलिस ने चंडीगढ़ के पास मोहाली से एक और एजेंट को गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम हिमांशु भारद्वाज है और उसकी उम्र 30 वर्ष बताई गई है. जांच में सामने आया है कि हिमांशु भारद्वाज खुद भी किडनी निकलवाने का शिकार रहा है और बाद में वह कंबोडिया ले जाए गए किडनी बेचने वालों की देखरेख करता था.
वह मरीजों को भारत से कंबोडिया ले जाने, वहां अस्पताल में भर्ती कराने और इलाज के बाद वापस लाने की जिम्मेदारी निभाता था. पुलिस सूत्रों के अनुसार, वह चंडीगढ़ से किडनी डोनर ग्रुप भी चलाता था. बुधवार को ब्रह्मपुरी कोर्ट ने हिमांशु को 26 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है. जांच में यह भी सामने आया है कि रामकृष्णा और रोशन के साथ कंबोडिया गए युवक राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे.
एसआईटी टीम ने किडनी रैकेट में शामिल दो और लोगों की पहचान की है. एक आरोपी पश्चिम बंगाल का निवासी है, जहां पुलिस ने दबिश दी लेकिन वहां उसका जुड़वां भाई मिला. फिलहाल पुलिस टीमें बंगाल में उसकी तलाश कर रही हैं. तीसरा आरोपी पेशे से इंजीनियर है और उसकी पत्नी वकील है. सूत्रों के मुताबिक, इसी वजह से उसकी गिरफ्तारी में कानूनी अड़चनें आ रही हैं.
जांच में यह भी पता चला है कि किडनी निकालने से पहले सभी पीड़ितों की जांच कोलकाता की एक पैथोलॉजी लैब में कराई गई थी. सभी अहम दस्तावेज उसी लैब में मौजूद हैं, जिन्हें हासिल करने की कोशिश पुलिस कर रही है. इन दस्तावेजों से पूरे रैकेट के कई बड़े राज खुलने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार, पीड़ित किसान रोशन कुड़े की किडनी 9 हजार अमेरिकी डॉलर में चीन के एक मरीज को बेची गई थी, हालांकि इस संबंध में अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
इसी बीच, इस केस में फरार चल रहा छठा आरोपी और साहूकार मनीष पुरुषोत्तम भी जिला अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद पुलिस के सामने सरेंडर कर चुका है. पुलिस को एक के बाद एक मिल रही सफलता से उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस पूरे अंतरराष्ट्रीय किडनी रैकेट का पूरा सच सामने आ जाएगा. (विकास राजुरकर की रिपोर्ट)