आज मनाया जाएगा होलिका दहन का त्योहार, जान लें पूजा का शुभ मुहूर्त

आज मनाया जाएगा होलिका दहन का त्योहार, जान लें पूजा का शुभ मुहूर्त

इस बार होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहने वाला है. इसलिए होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर लोगों में बहुत कन्फ्यूजन है. आइए आज जानते हैं कि होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा. होलिका दहन का मुहूर्त क्या है और होलिका दहन से पूर्व पूजा का विधान क्या है.

होलिका दहन का त्योहारहोलिका दहन का त्योहार
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 13, 2025,
  • Updated Mar 13, 2025, 2:23 PM IST

हर साल फाल्गुन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है. वहीं, इस बार होलिका दहन 13 मार्च 2025 को है. बता दें कि होलिका दहन का त्योहार बुराई की अच्छाई पर जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. वहीं, भारतीय नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को शुरू होता है. इससे पूर्व पुराने संवत्सर को विदाई देने और इसकी नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए भी होलिका दहन किया जाता है. इसलिए इसे कहीं-कहीं संवत जलाना भी कहा जाता है. लेकिन इस बार होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहने वाला है. इसलिए होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर लोगों में बहुत कन्फ्यूजन है. आइए आज जानते हैं कि होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त?

होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है. इसमें भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. वहीं, भद्रा के साए में होलिका दहन नहीं किया जाता है. ऐसे में इस बार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च यानी आज सुबह 10.36 से लेकर 14 मार्च को दोपहर 12.23 तक रहेगी. पूर्णिमा के साथ ही भद्रा काल आरम्भ हो जाएगा. जो रात 11.26 तक रहेगा. इसलिए भद्रा काल से बचते हुए 13 मार्च की रात को 11.27 के बाद होलिका दहन किया जाएगा.

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होलिका दहन की क्या है विधि

होलिका दहन का तैयारी कई दिनों पहले से होने लगती हैं. होलिका दहन वाले स्थान पर लकड़ियां, उपले और अन्य जलाने वाली चीजों को एकत्रित किया जाता है. इसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर विधिवत रूप से पूजन करते हुए होलिका में आग लगाई जाती है. फिर होलिका की परिक्रमा करते हुए पूजा सामग्री को होलिका में डाला जाता है.

कैसे कर सकते है होलिका दहन

होलिका दहन में किसी वृक्ष कि शाखा को जमीन में गाड़कर, उसे चारों तरफ से लकड़ी, उपले से घेरकर निश्चित मुहूर्त में जलाया जाता है. इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेहूं की नई बालियां और उबटन जलाया जाता है. ताकि वर्ष भर व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति हो और उसकी सारी बुरी बलाएं अग्नि भस्म हो जाएं. होलिका की राख को घर में लाकर उससे तिलक करने की परंपरा भी है.

इसकी क्विया है विशेषता और लाभ

कहते हैं कि होलिका दहन के दिन मन की तमाम समस्याओं का निवारण हो सकता है. रोग, बीमारी और विरोधियों की समस्या से निजात मिल सकती है. आर्थिक बाधाओं से राहत मिल सकती है. अगर आप ईश्वर की कृपा पाना चाहते हैं तो इस दिन आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. अलग-अलग चीजों को अग्नि में डालकर अपनी अपनी बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं. 

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