गुजरात में कपास को छोड़ मूंगफली की खेती कर रहे किसान, इस साल 16 फीसदी बढ़ा रकबा

गुजरात में कपास को छोड़ मूंगफली की खेती कर रहे किसान, इस साल 16 फीसदी बढ़ा रकबा

गुजरात राज्य कृषि, किसान कल्याण और सहकारिता विभाग की तरफ से जारी किए गए हालिया आंकड़ों के अनुसार गुजरात में मूंगफली की खेती का रकबा 18.62 लाख हेक्टेयर हो गया है. यह क्षेत्र पिछले साल की मूंगफली बुवाई के क्षेत्रफल से 16 प्रतिशत अधिक है. पिछले साल गुजरात में 16.21 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की खेती हुई थी.

गुजरात में मूंगफली की खेती (सांकेतिक तस्वीर)गुजरात में मूंगफली की खेती (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 02, 2024,
  • Updated Aug 02, 2024, 4:42 PM IST

मूंगफली की खेती के मामले में गुजरात ने इस साल बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इस साल चालू खरीफ सीजन 2024 में राज्य में मूंगफली की खेती का रकबा 18 लाख हेक्टेयर को पार कर गया है. साल 2021 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब इतने बड़े क्षेत्र में मूंगफली की खेती हुई है. मूंगफली के बढ़े हुए रकबे को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि कपास की खेती में कम हो रही पैदावार और गुलाबी बॉलवर्म संक्रमण के चलते किसान इसे छोड़ रहे हैं. इस बीच नकली बीटी कपास के बीज बिकने के कारण अब किसान इसकी खेती को छोड़कर मूंगफली की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं ताकि उन्हें कपास की खेती की तरह नुकसान का सामना नहीं करना पड़े. 

गुजरात राज्य कृषि, किसान कल्याण और सहकारिता विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में मूंगफली की खेती का रकबा 18.62 लाख हेक्टेयर हो गया है. यह क्षेत्र पिछले साल की मूंगफली बुवाई के क्षेत्रफल से 16 प्रतिशत अधिक है. पिछले साल यहां पर 16.21 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की खेती हुई थी. बुवाई का यह क्षेत्रफल पिछले दो साल के दौरान बोए गए मूंगफली से अधिक है. साल 2022 के खरीफ सीजन के दौरान गुजरात में मूंगफली की खेती का रकबा 17.63 लाख हेक्टेयर था. हालांकि इस बार मूंगफली का रकबा और भी बढ़ सकता है क्योंकि खरीफ सीजन के लिए बुवाई अब भी जारी है.

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मूंगफली की खेती की तरफ शिफ्ट हो रहे किसान

उम्मीद की जा रही है कि इस बार मूंग का रकबा साल 2020 के 20.65 लाख हेक्टेयर तक पहुंत सकता है. गुजरात में किसानों के संगठन खेदूत समाज के पूर्व प्रमुख सागर रबारी ने कहा कि कपास के घटते उत्पादन, पिंक बॉल वॉर्म का खेतों में बढ़ता प्रकोप, कीटनाशकों के इस्तेमाल के कारण कृषि के लागत में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण धीरे-धीरे किसान मूंगफली की खेती की तरफ जा रहे हैं. इसके साथ ही जो किसान कपास की खेती करते हैं, उन्हें कटाई के लिए फरवरी मार्च का इंतजार करना पड़ता है, जबकि मूंगफली की कटाई दिवाली तक में हो जाती है. इसके बाद किसान एक और फसल ले सकते हैं. 

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अभी भी सबसे अधिक है कपास का रकबा

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के अनुसार, जूनागढ़ जिले के गलियावाड़ गांव के किसान खेम मुहम्मद ने बताया कि उन्होंने इस साल मूंगफली की खेती की है. इससे पहले साल उन्होंने कपास की खेती की थी, लेकिन इसमें उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ा था क्योंकि खेतों में पिंक बॉलवॉर्म का प्रकोप हो गया था. इसलिए इस साल उन्होंने एक हेक्टेयर में मूंगफली की खेती की है. राज्य में भले ही किसान कपास की खेती को छोड़कर मूंगफली की खेती को अपना रहे हैं पर अभी भी राज्य में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे अधिक कपास की ही खेती की जाती है. इस साल किसानों ने 23.15 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की है. जो पिछले साल के आकंड़े 28.82 लाख हेक्टेयर से 16 प्रतिशत कम है. 

 

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