किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कल अमृतसर में हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बुधवार को पूरे पंजाब में जगह-जगह रेल रोको आंदोलन किया जाएगा. पंढेर ने पंजाब के गायकों से रागी जत्थों और ट्रांसपोर्टर दुकानदारों से समर्थन करने की अपील की. इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सभी किसान संगठनों से तत्काल चर्चा करने, पंजाब सीमा पर किसानों के संघर्ष पर दमन समाप्त करने, ग्रेटर नोएडा में जेल में बंद किसान नेताओं को रिहा करने और ‘कृषि विपणन पर नई राष्ट्रीय नीति रूपरेखा’ को तत्काल वापस लेने की मांग को लेकर देश भर के सभी किसानों से 23 दिसंबर 2024 को हर जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की अपील की.
14 दिसंबर 2024 को आयोजित राष्ट्रीय समन्वय समिति की एक तत्काल बैठक में 21 राज्यों के 44 सदस्यों ने भाग लिया और पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया. बैठक में किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई, जो पिछले 23 दिनों से पंजाब की सीमा पर आमरण अनशन कर रहे हैं.
बैठक में चेतावनी दी गई है कि अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जिम्मेदार होंगे. बैठक में प्रधानमंत्री मोदी से शासन के लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन करने और संघर्ष कर रहे सभी किसान संगठनों और मंचों से तत्काल चर्चा करने की मांग की गई है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी किसानों से विचार-विमर्श करने के लिए कहा है.
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एसकेएम ने एनडीए-3 सरकार के सत्ता में आने के ठीक बाद 16,17,18 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं और संसद के सभी सदस्यों को एक ज्ञापन सौंपा था. किसानों ने 9 अगस्त 2024 को देश भर में कृषि पर कॉर्पोरेट नियंत्रण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. एसकेएम ने 26 नवंबर 2024 को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और खेत मजदूर संगठनों के मंच के साथ मिलकर 500 से अधिक जिलों में बड़े पैमाने पर मजदूर-किसान विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें लगभग दस लाख लोगों ने भाग लिया और जिला कलेक्टरों के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा था.
हालांकि, मोदी सरकार इन संघर्षों पर किसान संगठनों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है. इसके बजाय, प्रधानमंत्री और हरियाणा और उत्तर प्रदेश की भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारें पंजाब के शंभू और खनोरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के नोएडा-ग्रेटर नोएडा में किसानों के संघर्षों को आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां, पानी की बौछारों का इस्तेमाल करके और शांतिपूर्ण प्रदर्शन और धरना करने के लिए सैकड़ों किसानों को जेल में डालकर दबाने की कोशिश कर रही हैं.
बैठक में प्रधानमंत्री से एमएसपी, कर्ज माफी, बिजली के निजीकरण, एलएआरआर अधिनियम 2013 के कार्यान्वयन सहित किसानों की अन्य जायज और लंबित मांगों को स्वीकार करने और कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी 25 नवंबर 2024 की नई कृषि बाजार नीति को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया गया, जो किसानों को एमएसपी से वंचित करता है, डिजिटलीकरण, अनुबंध खेती, खरीद के लिए बाजार पहुंच के माध्यम से कृषि उत्पादन और विपणन पर कॉर्पोरेट नियंत्रण की अनुमति देता है और राज्यों के संघीय अधिकारों का अतिक्रमण करता है.
एसकेएम फिर से सभी संबंधित लोगों से अपील करता है कि वे कॉर्पोरेट नीतियों के वर्चस्व को उखाड़ फेंकने और भारत को बचाने के लिए व्यापक किसान एकता और गांव और कार्यस्थल स्तर तक देशव्यापी जीवंत श्रमिक-किसान एकता के लिए ईमानदारी से काम करें. एसकेएम विपक्ष के सभी राजनीतिक दलों से एमएसपी, न्यूनतम मजदूरी, बेरोजगारी, महंगाई और ऋणग्रस्तता जैसे उनकी आजीविका के मुद्दों पर लोगों को एकजुट करने और राज्य सरकारों के अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह करता है.
23 दिसंबर 2024 को विरोध प्रदर्शन पूरे देश में जिला स्तर पर होगा. किसान कृषि विपणन पर नीति दस्तावेजों की प्रतियां जलाएंगे. पंजाब में एक केंद्र पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. एसकेएम नेता पंजाब और हरियाणा के राज्यपालों से मिलकर केंद्र सरकार द्वारा चर्चा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करेंगे.