बताया गया है कि पहले दौर की बैठक में कुछ मांगें मानी गई थीं. हालांकि एमएसपी को कानूनी गारंटी देने सहित कुछ मांगों पर सहमति नहीं बन पाई थी. जबकि किसान संगठनों की मुख्य मांग एमएसपी की गारंटी ही है. किसान संगठनों का साफ करना है कि वह यह नहीं कह रहे कि एमएसपी की गारंटी देकर सारी फसल सरकार खरीदे, बल्कि यह कह रहे हैं कि कोई भी व्यक्ति एमएसपी से कम दाम पर फसल न खरीदे, ताकि किसानों को नुकसान न उठाना पड़े. किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम मिले.
अपनी 12 मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों ने दिल्ली कूच की तैयारी पूरी कर ली है. किसान हजारों की संख्या में ट्रैक्टर- ट्रालियों और गाड़ियों से दिल्ली जाने के लिए अपने घर से निकल चुके हैं. पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर हरियाणा सरकार ने उन्हें रोक रखा है. इस बीच मामले के समाधान के लिए केंद्र सरकार आज किसान संगठनों के साथ दूसरे दौर की बातचीत करेगी. केंद्र सरकार की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव से पहले किसी भी सूरत में किसान पिछले आंदोलन की तरह दिल्ली आकर सड़क पर न बैठें, वरना इसका गलत संदेश जाएगा. इसलिए उसने अपने दोबारा अपने तीन वरिष्ठ मंत्रियों को किसान संगठनों से बातचीत करने के लिए भेजा है.
आज सोमवार 12 फरवरी को चंडीगढ़ में 5:00 बजे होने वाली बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल होंगे. बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी होंगे, जो खुलकर किसानों का सपोर्ट कर रहे हैं. बैठक में अलग-अलग किसान संगठनों के 10 प्रतिनिधि शामिल रहेंगे. इससे पहले 8 फरवरी को किसान संगठनों और केंद्रीय मंत्रियों की चंडीगढ़ में ही एक दौर की बातचीत हो चुकी है.
पहले दौर की बैठक दोनों पक्षों में काफी सौहार्दपूर्ण तरीके से हुई थी, लेकिन किसान संगठनों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ केंद्र से शिकायत की थी कि वह किसानों पर सख्ती कर रही है और उन्हें एक तरह से उकसा रही है. बताया गया है कि पहले दौर की बैठक में कुछ मांगें मानी गई थीं. हालांकि एमएसपी को कानूनी गारंटी देने सहित कुछ मांगों पर सहमति नहीं बन पाई थी. जबकि किसान संगठनों की मुख्य मांग एमएसपी की गारंटी ही है. किसान संगठनों का साफ करना है कि वह यह नहीं कह रहे कि एमएसपी की गारंटी देकर सारी फसल सरकार खरीदे, बल्कि यह कह रहे हैं कि कोई भी व्यक्ति एमएसपी से कम दाम पर फसल न खरीदे, ताकि किसानों को नुकसान न उठाना पड़े. किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम मिले.
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पंजाब और हरियाणा के 26 किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्ली कूच का एलान किया है. इसकी कमान संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) के पास है. जबकि एसकेएम के दूसरे गुट ने 16 फरवरी को भारत बंद बुलाया है. लेकिन सरकार की टेंशन एसकेएम (अराजनैतिक) ने बढ़ाई हुई है. क्योंकि इससे जुड़े हजारों किसान अपने घरों से दिल्ली के लिए निकल पड़े हैं.
उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वो किसानों की जायज मांगों को मान ले. जबकि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दिल्ली कूच करने वाले किसानों का समर्थन किया है.
फिलहाल यह देखना है कि आज शाम होने वाली बैठक में क्या निकलता है. क्योंकि किसानों ने साफ किया है कि जब तक उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक वो सरकार से बातचीत तो जारी रखेंगे लेकिन दिल्ली जाने का फैसला वापस नहीं होगा. किसान दिल्ली जाएंगे.