कपास एक महत्वपूर्ण कैश क्रॉप है. इसकी खेती से किसानों को काफी लाभ होता है. इसलिए कपास को सफेद सोना भी कहा जाता है. कपास के बेहतर जमाव के लिए न्यूनतम 16 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. इसकी बढ़वार के लिए 21-27 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान की जरूरत होती है. इसके अलावा इसके फलन के लिए दिन में 27-32 डिग्री तक के तापमान और रात में ठंडे तापमान की जरूरत होती है. साथ की गुलर के फटने के लिए खिली हुई धूप और पालारहित मौसम की आवश्यकता होती है. कपास की खेती में कम से कम 50 सेंटीमीटर बारिश की जरूरत होती है.
कपास की खेती के लिए अच्छी जलधारण करने वाली मिट्टी होनी चाहिए. इसमें जल निकासी की भी अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. जिन किसानों के पास अच्छी सिंचाई की सुविधा है, वह किसान बलुई और बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती कर सकते हैं. कपास की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 -6.0 के बीच होना चाहिए. कपास की खेती में फसल चक्र अपनाना चाहिए. फसल चक्र अपनाने से अच्छी पैदावार होती है. इसके अलावा दूसरे फसलों से किसानों की अच्छी कमाई भी होती है. कपास के साथ किसान विभिन्न फसलों की खेती भी कर सकते हैं. यह किसानों के लिए फायदेमंद होता है.
ये भी पढ़ेंः मिट्टी की पैदावार बढ़ा सकती है पराली, पढ़ें किसानों के लिए जारी वैज्ञानिकों की सलाह
कपास के साथ-साथ किसान अन्य फसलों की खेती कर सकते हैं. इससे किसानों को अच्छी कमाई होती है. कपास के साथ फसल चक्र अपनाने से किसानों को अच्छी पैदावार मिलती है. साथ ही रोग और कीट से भी राहत मिलती है. कपास के साथ कपास-सुरजमुखी, कपास-मूंगफली, कपास-बरसीम, कपास-गेहूं या जौ जैसी फसल को फसल चक्र के लिए अपनाया जा सकता है. उत्तर भारत में कपास-मटर, कपास-ज्वार और कपास गेहूं, दक्षिण भारत में कपास-ज्वार, कपास-मूंगफली, धान-कपास औऱ कपास धान जैसे फसल चक्र को अपनाया जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः इस महीने गन्ने पर चढ़ाएं हल्की मिट्टी, गिरने से बच जाएगी आपकी फसल
कपास की अधिक पैदावार के लिए इसकी उन्नत किस्मों को बारे में जानना जरूरी है. एफ-286, गंगानगर अगेती, बीकानेरी नरमा, आसरएस 875, रजत, गुजरात कॉटन 16, एलआरके 516, कंचन, शारदा, सीएनएच 36, अबदीता, जेके 119, एससीयू 5. पीकेवी 081, एलआरए 5166. एएल 920, केसी 94 समय अन्य और किस्में हैं जो अमेरिकन कपास की उन्नत किस्में हैं. इसके अलावा धनलक्ष्मी, उमाशंकर, जेकेएचवाई 1 और 2,डीएच 5, डीएच 7, फतेह और एलजीएच जैसे शंकर नस्ल की कई प्रजातियां विकसित की गई हैं. इसके अलावा लोहित, यामलि, मलजारी समेत एल डी कपास की देशी किस्में हैं.