16 अगस्त से पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के भूमि सर्वेक्षण से जुड़े विशेष संविदा कर्मी अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल और आमरण अनशन पर बैठे हैं. वहीं, बुधवार को विरोध प्रदर्शन के लिए ये कर्मी बीजेपी कार्यालय के बाहर पहुंचे, जहां पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. इस दौरान एक संविदा कर्मी के सिर में चोट लगने से उसका सिर फूट गया. वहीं, बीजेपी कार्यालय के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया. विरोध कर रहे कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि विभाग ने पहले उनकी मांगों को नहीं माना और फिर 3 सितंबर को उन्हें नौकरी से निकाल दिया. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या इस लोकतंत्र में अपनी मांग रखना अब अपराध हो गया है? आज हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है जैसे हम बिहार के नहीं हैं.
कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड से आई महिला संविदा कर्मी ने बताया कि नौकरी से निकाले जाने की सूचना उनके परिवार तक पहुंच चुकी है. परिवार ने कहा है कि जब तक नौकरी वापस नहीं मिलेगी, घर लौटने की कोई जरूरत नहीं. उन्होंने सरकार और विभाग से मांग करते हुए कहा कि हमारी समस्याओं पर विचार कर उन्हें काम पर वापस बुलाने का आदेश दिया जाए. हड़ताल में आए संविदा कर्मियों का कहना है कि कई ऐसे कर्मी हैं, जो घर में कमाने वाले अकेले हैं. अब उनकी नौकरी चली गई है, वे क्या करें? कई कर्मियों की तो शादी कट गई है. आज बिहार के इंजीनियर विद्यार्थी सड़कों पर खड़े हैं. देश स्तर पर बिहार के लिए यह अच्छी खबर नहीं है.
16 अगस्त से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संविदा विशेष सर्वेक्षण अमीन, कानूनगो, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी और लिपिक अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं. वहीं, इनके द्वारा अपनी पांच सूत्रीय मांग के तहत वे सेवा का नियमितीकरण, धारित पद को सहायक अभियंता (AE)/कनीय अभियंता (JE) अथवा उच्चवर्गीय लिपिक (UDC) के नियमित पद पर समायोजन, समतुल्य वेतनमान, ESIC की सुविधा आदि प्रमुख मांग सरकार से कर रहे हैं. इसके साथ ही बीते दिनों में विभाग की ओर से सेवा मुक्त किए गए संविदा कर्मियों की बहाली फिर से करने की बात कही जा रही है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इनकी मांगें बिल्कुल अनुचित हैं. इनका नियोजन बिहार विशेष सर्वेक्षण मानदेय आधारित नियोजन नियमावली 2019 एवं संशोधित नियमावली 2022 के तहत हुआ है. नियमों के अनुसार यह सेवा किसी भी परिस्थिति में नियमित नियुक्ति में परिवर्तित नहीं होगी. इसके बावजूद पदनाम बदलने, नियमितीकरण और समतुल्य वेतनमान जैसी अनुचित मांगों को लेकर हड़ताल पर जाना संविदा शर्तों और शपथ पत्र का उल्लंघन है. वहीं, इन्हें दो बार यानी 30 अगस्त और 3 सितंबर को तक काम पर वापस आने के लिए कहा गया था. मगर उनके काम पर वापस नहीं आने के बाद करीब 7 हजार से अधिक संविदा कर्मी को सेवा मुक्त किया गया. वहीं, करीब 3295 के आसपास संविदा कर्मी काम पर वापस आ चुके हैं.