MP Election 2023 : दतिया में नरोत्तम मिश्रा के लिए बिछाए कांग्रेस ने कांटे, पुराने प्रतिद्वंद्वी से मिली हार

MP Election 2023 : दतिया में नरोत्तम मिश्रा के लिए बिछाए कांग्रेस ने कांटे, पुराने प्रतिद्वंद्वी से मिली हार

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नामचीन चेहरों में राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम प्रमुखता से शुमार किया जा सकता है. मिश्रा 1990 से अब तक 6 बार एमपी विधानसभा के सदस्य के रूप में  विधायक चुने जा चुके हैं. बुंदेलखंड और चंबल क्षेत्र में नरोत्तम मिश्रा का राजनीतिक रुतबा पिछले दो दशक से कायम है, लेकिन इस चुनाव में उनके लिए कांग्रेस ने ऐसे कांटे बिछाए कि मिश्रा को पहली बार हार का स्वाद चखना पड़ गया.

Narottam MishraNarottam Mishra
न‍िर्मल यादव
  • Bhopal,
  • Dec 04, 2023,
  • Updated Dec 04, 2023, 10:13 AM IST

एमपी के गृह मंत्री के रूप में नरोत्तम मिश्रा ने सीएम के बाद दूसरे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्त‍ि के तौर पर राज्य की सत्ता में अपनी हैसियत बना ली है. उन्हें एमपी की राजनीति का चतुर सुजान ख‍िलाड़ी माना जाता है. वह तीन बार ग्वालियर जिले की डबरा सीट से और तीन बार दतिया विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. वह 7वीं बार विधानसभा चुनाव में दतिया सीट से ही किस्मत आजमा रहे थे लेकिन पूरे राज्य में भाजपा को मिली कामयाबी का पहिया दतिया में आकर थम गया. मिश्रा को अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के राजेन्द्र भारती से लगभग 7700 वोट से हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव परिणाम से ऐसा लगा, मानो 18 साल से एमपी में चल रही भाजपा सरकार के खिलाफ जनता में व्याप्त रोष यानी सत्ता विरोधी लहर (Anti incumbency) का पूरा असर इस चुनाव में सिर्फ दतिया तक ही सीमित रहा.

दतिया सीट

ग्वालियर चंबल संभाग में दतिया जिले के अंतर्गत तीन विधानसभा सीट (सेंवढ़ा, भांडेर और दतिया) आती हैं. इनमें दतिया शहर को छोड़कर बाकी दोनों सीटें पूरी तरह‍ से ग्रामीण आबादी बहुल हैं. सवर्ण और दलित मतदाताओं की बहुलता वाली दतिया सीट पर साल 1990 के बाद से भाजपा का ही दबदबा रहा है. मुख्य विरोधी दल कांग्रेस की ओर से अब तक मिश्रा को राजेंद्र भारती ही चुनौती देते रहे हैं. सरकार विरोधी लहर के चलते इस चुनाव में शुरू से ही साफ सुथरी छवि वाले भारती का पलड़ा भारी रहा है.

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सियासी सफर

15 अप्रैल 1960 को जन्मे मिश्रा के राजनीतिक सफर की शुरुआत ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव से हुई. इस संस्थान से एमए पीएचडी की पढ़ाई करने के दौरान वह 1977 में विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के सचिव चुने गए. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के सचिव बनने के बाद पार्टी ने 1990 में उन्हें ग्वालियर जिले की डबरा सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा. पहला चुनाव जीतने के बाद मिश्रा ने 1998 और 2003 का विधानसभा चुनाव भी डबरा सीट से जीता. इसके बाद यह सीट परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद मिश्रा ने अपना राजनीतिक क्षेत्र पड़ोसी जिला दतिया को बना लिया. दतिया विधानसभा सीट से वह 2008, 2013 और 2018 का चुनाव जीते.

इस बीच पार्टी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ गुना लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा, मगर मिश्रा को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. वह 1 जून 2005 को बाबूलाल गौर सरकार में पहली बार मंत्री बने. राज्य मंत्री बनने के बाद मिश्रा का सियासी कद लगातार बढ़ता गया और 2009 में उन्हें श‍िवराज सिंह चौहान की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया.

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अयोग्य भी घोषित हुए

मि‍श्रा के खिलाफ 2008 के चुनाव में पेड न्यूज का इस्तेमाल करने और चुनावी खर्च का गलत ब्योरा देने के आरोप में चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई. इस मामले में आयोग ने जून 2017 में उन्हें दोषी करार देते हुए उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था. हालांकि आयोग के इस फैसले को उच्च अदालत ने अमान्य घोषित कर मिश्रा को राहत प्रदान की थी.

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