ओडिशा में इस वक्त जबरदस्त बारिश हो रही है. मलकानगिरी समेत कई ऐसे जिले हैं जहां पर अच्छी बारिश देखी जा रही है पर राज्य के 12 जिलें ऐसे हैं जहां पर अभी भी औसत से कम बारिश हुई है और किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में किसानों के खेती करने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसे लेकर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई है. इसका पालन करके किसान अच्छी उपज हासिल कर सकते हैं.
खरीफ का सीजन चल रहा है. इस समय में ओडिशा में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाता है. यहां पर दो तरीकों से धान की खेती की जाती है. एक रोपाई विधि होती है, जिसमें किसान धान की रोपाई के लिए खेत में पानी जमा करते हैं. इसके बाद खेत की अच्छे से जुताई करते हैं और गीले खेत में धान के पौधे की रोपाई की जाती है. निचली जमीनों में जहां पानी जमा हो जाता है उन जमीनों में इस विधि से धान की रोपाई की जाती है.
धान की रोपाई विधि में सबसे पहले पौधे तैयार किए जाते हैं. इस पौधों को नर्सरी में लगाया जाता है. जून की शुरूआत में ही जिन किसानों के पास पानी उपलब्ध होता है वो नर्सरी तैयार करने लगते हैं. किसानों का मानना है कि इस विधि से धान की खेती करने पर धान की अच्छी पैदावार हासिल होती है. रोपाई विधि से धान की अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए नर्सरी तैयार करने समय विशेष ध्यान देना पड़ता है. गोबर और खाद की उचित मात्रा डालनी पड़ती है.
एक एकड़ में धान की रोपाई करने के लिए 10 डिसमिल जमीन में धान की नर्सरी तैयार की जाती है. इसके लिए सूखी क्यारी तैयार की जाती है. क्यारी की चौड़ाई तीन फीट और ऊंचाई छह इंच होनी चाहिए. क्यारी के किनारे उचित जल निकासी के लिए नाले का निर्माण करना चाहिए. ताकि नर्सरी में जलजमाव नहीं हो. क्योंकि इससे पौधों को नुकसान हो सकता है. दो बेड के बीच का अंतर एक फीट होना चाहिए.
10 डिसमिल जमीन धान की नर्सरी तैयार करने के लिए 40 टोकरी सूखे हुए गोबर खाद की आवश्यकता होती है. इसमें नर्सरी तैयार करने के लिए 10 किलो धान की आवश्यकता होती है. सूखे बेड में धान की बुवाई करने के बाद इसे हल्की मिट्टी और सूखे गोबर से ढंक दिया जाता है. फिर अगर बारिश नहीं होती है को इसके ऊपर हल्का पानी का छिड़काव करें इससे अंकुरण अच्छा होता है.
धान की बुवाई के 15 दिनों के बाद पूरे 10 डिसिमिल की नर्सरी में 4 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करना चाहिए. इससे पौधे मजबूत और मोटे होते हैं. नर्सरी में धान की बुवाई करने से पहले इसका बीजोपचार करना चाहिए. इससे रोग और कीट से इसे बचाने में मदद मिलती है. नर्सरी और रोपाई के लिए धान के खेत तैयार करते समय मेड़ों को दुरुस्त करें और खेत में मौजूद चूहों के बिलों को बंद करें.
धान की नर्सरी तैयार करने के लिए ओडिशा के किसान गुणवत्ता वाले बीज जैसे कलिंगा 1208, 1205 और अन्य कम अवधि वाली किस्म जैसे खंडागिरी, शताब्दी, ललाट, स्वर्ण श्रेया जैसी किस्मों का चुनाव करें. जो किसान देरी से नर्सरी तैयार कर रहे हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि वो कव अवधि वाले किस्म जैसे सहभागीधन,मंदाकिनी, बीना-11, जोगेश, सिद्धांता जैसी किस्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं.