जितना बड़ा फ्रेश फिश का बाजार है, लगभग वैसा ही सूखी मछली (ड्राई फिश) का भी है. घरेलू हो या फिर इंटरनेशनल मार्केट, सूखी मछली की डिमांड हर जगह है. लेकिन दोनों ही बाजारों में सूखी मछली बेच पाना इतना आसान नहीं है. सूखी मछली में साफ-सफाई का बहुत ख्याल रखा जाता है. तभी कहीं जाकर सूखी मछली के दाम मिल पाते हैं. देश में बड़ी मात्रा में मछली का उतपादन होता है, लेकिन कुछ वक्त पहले तक सूखी मछली का एक्सपोर्ट नाम मात्र के लिए ही होता था. भारत की सूखी मछली खरीदने को कोई तैयार नहीं होता था.
वजह थी हमारे देश में मछली सुखाने के तौर-तरीके पुराने थे और एक्सपोर्ट के मानकों पर हमारी सूखी मछली फेल हो जाती थी. लेकिन जैसे ही मछली सुखाने के तरीके बदले गए, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPHET), लुधियाना समेत दूसरे संस्थानों ने नई-नई टेक्नोलॉजी तैयार की तो छोटे से छोटे मछुआरों ने भी साइंटीफिक तरीके से मछली सुखाना शुरू कर दिया.
ये भी पढ़ें: Goat Farming: सिर्फ 25 रुपये में गाभिन होगी बकरी, सीमेन देने वाले बकरे की मिलेगी फुल डिटेल
सीफेट के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अरमान मुजाद्दादी का कहना है कि दो से ढाई महीने बाद बरसात का मौसम शुरू हो जाएगा. ऐसे में मछली का कारोबार करने वालों के सामने सबसे बड़ी परेशानी मछली को सुखाने की आती है. क्योंकि मछली सुखाने के लिए जितनी जरूरत धूप की होती है उससे कहीं ज्यादा उसे धूल-मिट्टी और तमाम तरह के मच्छर-मक्खी समेत दूसरे कीट से बचाना जरूरी होता है. तभी सूखी मछली के सही दाम मिल पाते हैं. बहुत सारी जगह पर अभी भी समुंद्र किनारे रेत पर और नदी के किनारे भी खुले में छोटी-छोटी मछलियां सुखाई जाती हैं. यह एक पुराना तरीका है और इसमे साफ-सफाई का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है.
धूल-मिट्टी आने के साथ ही मछलियों पर मक्खियां भी बैठती हैं. कई बार देखा गया है कि मक्खियां इस पर अंडे भी दे देती हैं और यह बीमारियों की एक बड़ी वजह बनती है. कई बार तो मौसम खराब होने पर कई-कई दिन तक मछलियां सूखती नहीं हैं. हमने मछलियां को सुखाने के लिए एक सोलर टेंट ड्रायर बनाया है. इसमे किसी भी तरह की मशीन की जरूरत नहीं है. यह सामान्य चीजों से ही बनाया गया है. बस बनाने के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखा गया है. कहीं भी इसे आराम से बनाया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: NOHM: पशु-पक्षियों की लंपी, एवियन इंफ्लूंजा जैसी बीमारियों पर काबू पाने को चल रही ये तैयारी
डॉ. अरमान ने बताया कि सोलर टेंट के एक हिस्से को पारदर्शी रखा गया है. यहां से धूप पूरी तरह टेंट के अंदर जाती है. टेंट के अंदर का हिस्सा पूरी तरह से काले रंग का है. काला रंग धूप की गर्मी अंदर की ओर खींचता है. जिससे टेंट के अंदर गर्मी बढ़ जाती है और हवा भी गर्म हो जाती है. ऐसा होने पर मछली सूखने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. टेंट के अंदर मछलियों को रखने के लिए चार सेल्फ बनाई गई हैं. सभी सेल्फ में मछली रखी जा सकती हैं. सेल्फ जाली की है. जिसका फायदा यह होगा कि सूखने पर कभी-कभी मछली में से पानी टपकता है तो वो जाली के पार हो जाएगा. टेंट की ऊंचाई एक सामान्य इंसान को ख्याल में रखते हुए ही रखी गई है.