पेड़-पौधों को बचाने के लिए हर इंसान अपने तरीके से जुटा हुआ है. कुछ ग्रुप बनाकर काम कर रहे हैं तो कुछ लोग ऐसे भी है जो अकेले ही मुहिम चला रहे हैं. लेकिन सबका मकसद एक ही है कि किसी भी तरह से पेड़-पौधों को बचाया जाए और उन्हें फलने-फूलने का मौका दिया जाए. नन्हें पौधों को बचाने के लिए कुछ इसी तरह की एक अनोखी मुहिम चला रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के वकील किशन चंद जैन. किशन चंद को जब भी जहां कहीं पीपल, नीम, बरगद, गूलर और पाकड़ आदि का पौधा दिख जाता है तो वो उसे अपने घर ले आते हैं.
फिर वो बेशक किसी नाले-नाली के किनारे लगा हो या फिर सड़क किनारे. नन्हें पौधों को नाली के किनारे से उठाने में उन्हें कोई शर्म नहीं आती है. उल्टेा घर आकर उन्हें तसल्ली मिलती है कि आज एक उस नन्हें पौधे की जान बच गई जो बड़े होकर घनी छाया देगा.
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किशन चंद जैन ने किसान तक को बताया कि वो आगरा के रहने वाले हैं. जब भी आगरा जाते हैं तो रास्ते में चारों तरफ छोटे पौधों पर नजर डालते हुए चलते हैं. जहां भी बड़े और घने पेड़ का पौधा दिखाई देता है तो उसे उठाकर घर ले आते हैं. असल में वो पौधा इतना छोटा होता है कि उसे उस हालत में किसी भी पार्क या सड़क किनारे नहीं लगा सकते हैं.
इसलिए ऐसे पौधों को मैं घर लाकर गमलों में लगा देते हूं. उसके बाद एक साल तक या फिर जैसी भी उस पौधे की लम्बा ई है के हिसाब से देखभाल करता हूं. जब वो पौधा इतना बड़ा हो जाता है कि उसे किसी पार्क में लगाया जा सके तो फिर शहर के अलग-अलग पार्क में लगा दिए जाते हैं.
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किशन चंद ने बताया कि बीते एक साल में मैंने नाले-नाली और सड़क किनारे से मैंने अलग-अलग किस्म के बहुत सारे पौधे इकट्ठा किए थे. अगर इन पौधों को वहां से नहीं उठाया जाता तो ये सूख जाते या फिर किन्हीं और वजह से मर जाते. साफ-सफाई के दौरान भी ऐसे पौधों को बहुत नुकसान पहुंचता है. तो इसी तरह के पौधों को दो जुलाई की सुबह शहर के बड़े पालीवाल पार्क में लगाया गया. नीम, पीपल, बरदग, जामुन, गूलर के करीब 100 पौधे पार्क में लगाए गए. इस काम में पार्क में वॉक पर आने वाले और शहर के रंगकर्मी अनिल जैन और उमाशंकर मिश्रा के साथ उनकी टीम ने भी बहुत सहयोग दिया.