बरसात में बकरियों को हरा चारा खिलाते वक्त रखें ये ख्याल, नहीं तो होंगी बीमार 

बरसात में बकरियों को हरा चारा खिलाते वक्त रखें ये ख्याल, नहीं तो होंगी बीमार 

सूखे और दानेदार चारे के साथ बकरियों के लिए हरा चारा भी बेहद जरूरी है. अगर हरा चारा कम रह गया, ज्यादा दे दिया या बिल्कुल ही नहीं दिया तो इससे बकरी के साथ ही उसके होने वाले बच्चे को भी परेशानी होगी. अगर बकरा है तो उसका वजन नहीं बढ़ेगा.

खुले मैदान में चरती बकरियां. फोटो क्रेडिट-राशि‍द खुले मैदान में चरती बकरियां. फोटो क्रेडिट-राशि‍द
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Jul 13, 2023,
  • Updated Jul 13, 2023, 4:17 PM IST

भेड़-बकरी ही नहीं गाय-भैंस के लिए भी हरा चारा बेहद खास होता है. हरा चारा खिलाने से पशुओं में बहुत सारे मिनरल्स , प्रोटीन और खास विटामिन की कमी दूर होती है. हरे चारे से मवेशी तो हैल्दी होते ही हैं साथ में उनसे होने वाले बच्चे भी हैल्दी होते हैं. इतना ही नहीं कुछ हरे पत्ते  तो ऐसे भी होते हैं जिन्हें बकरियां अपनी बीमारी का इलाज करने के लिए खाती हैं. जैसे जामुन, अमरुद आदि. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो बरसात के इस मौसम में हरा चारा होता भी खूब है. लेकिन उसे भी खिलाने का अपना एक तरीका है. 

भेड़-बकरी हो या फिर गाय-भैंस सभी के लिए हरे चारे की एक मात्रा तय की गई है. पशु की उम्र, उसके वजन और उसके शारीरिक आकार के हिसाब से चारे की मात्रा तय की गई है. अगर आपने चारे की मात्रा कम कर दी, ज्यादा दे दी या फिर कई-कई दिन तक हरे चारे की एक डाल भी नहीं खिलाई तो इससे भी आपके पशु को नुकसान पहुंचेगा.

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बरसात में भेड़-बकरियों को ऐसे नुकसान पहुंचाता है हरा चारा 

डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि हरे चारे में प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन ए होता है. सभी तरह के पशुओं समेत खासतौर पर बकरी को इस सबकी बहुत जरूरत होती है. हरे चारे में शामिल विटामिन ए न सिर्फ बकरी के लिए जरूरी है बल्कि उसके होने वाले बच्चे में इसकी कमी हो जाए तो उसकी ग्रोथ रुक जाएगी,

सिर बड़ा हो जाएगा और आंखों की परेशानी भी बढ़ जाएगी. अक्सर देखा जाता है कि बरसात के मौसम में हरा चारा खूब होता है. गांव ही नहीं शहरों में आसपास हरा चारा खूब उग आता है. लेकिन यही हरा चारा अगर भेड़-बकरियों ने ज्यादा खा लिया तो बकरी को डायरिया यानि दस्त हो जाते हैं और उसमे पोषण की कमी होने लगती है. 

हरे चारे के संबंध में एक और खास बात यह कि खासतौर पर रिजका और बरसीम खाने के बाद बकरे-बकरी के पेट में गैस बनने लगती है. यह गैस जल्दी ही पास नहीं होती है. बकरी को इससे निजात दिलाने के लिए आप उसे कोई भी खाने वाला तेल 50 एमएल दे सकते हैं. अगर इससे भी ठीक न हो तो खाने के 50 एमएल तेल में पांच एमएल तारपीन का तेल मिला दें.

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बकरी को हरा चारा टांगकर खिलाया तो होगा दोहरा फायदा 

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार ने किसान तक को बताया कि गाय-भैंस और भेड़ के मुकाबले हरे चारे को बकरी थोड़ा अलग तरीके से खाती है. आप सामान्य तौर पर जब भी बकरी को हरा चारा खाते देखेंगे तो पाएंगे कि बकरी मुंह ऊपर की ओर करके हरे चारे को बड़े ही चाव से खाती है. ऐसा करना बकरी को तो अच्छा लगता ही है, लेकिन कोई भी चीज जब चाव से खाई जाती है तो वो शरीर को और ज्यादा फायदा पहुंचाती है. 

इसलिए बकरे और बकरियों को हरा चारा खिलाने के दौरान कोशिश करें कि उसे खुले मैदान, जंगल या खेत में ले जाएं. अगर यह सब मुमकिन न हो तो हरे चारे का गट्ठर बनाकर बकरी के सामने उसे थोड़ा ऊंचाई पर टांग दें या फिर बकरी की हाइट से थोड़ा ऊपर रख दें. कहने का मतलब यह है कि चारे को जमीन पर न डालें. नीचे गर्दन करके हरा चारा खाने में बकरी को मजा नहीं आता है. 
 

 

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