वैश्विक बाजार में महंगा हुआ पाम ऑयल, भारत में सोयाबीन, सूरजमुखी तेल का आयात 13 फीसदी बढ़ा

वैश्विक बाजार में महंगा हुआ पाम ऑयल, भारत में सोयाबीन, सूरजमुखी तेल का आयात 13 फीसदी बढ़ा

देश में बड़े पैमाने पर त‍िलहन फसलों के उत्‍पादन के बावजूद खाद्य तेलों की मांग पूरी करने के लिए आयात करना पड़ता है. पिछले कुछ समय में वैश्विक बाजार में पाम तेल की कीमतें ऊचर चल रही हैं, जिसकी वजह से अन्‍य तेल सोयाबीन और सूरजमुखी का आयात 13 प्रतिशत बढ़ गया है.

पाम ऑयल (सांकेतिक तस्वीर)पाम ऑयल (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 15, 2025,
  • Updated Jan 15, 2025, 6:13 PM IST

मलेशिया में लगातार आम तेल के उत्पादन में गिरावट आने और इंडोनेशिया में पाम तेल से जैव ईंधन उत्‍पादन बढ़ाए जाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाम तेल के दाम अन्य तेलों के मुकाबले काफी ऊपर चल रहे हैं. इस कारण से भारत में अब सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल के आयात में उल्लेखनीय उछाल देखने को मिल रहा है. भारत ने वर्ष 2024-25 (नवंबर-अक्टूबर) के पहले दो महीनों में खाद्य तेलों के आयात में 13.03 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है. अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने यह जानकारी दी.

पाम तेल का आयात घटा, सोयाबीन का बढ़ा

देश में चालू सीजन 2024-25 के पहले दो महीनों के दौरान 27.25 लाख मीट्रिक टन विभ‍िन्‍न खाद्य तेलों का आयात हुआ, जबकि पिछले सीजन (2023-24) में 24.55 लाख मीट्रिक टन तेल आयात किया गया था. पाम तेल (आरबीडी पामोलिन और कच्चे पाम तेल सहित) का आयात अक्‍टूबर-नवंबर 2024  में घटकर 13.42 लाख मीट्रिक टन रह गया, जबकि पिछले साल यह 17.63 लाख मीट्रिक टन था.

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वहीं, भारत का सोयाबीन तेल आयात 173.78 प्रतिशत बढ़कर 8.28 लाख मीट्रिक टन हो गया. पिछले सीजन में यह 3.02 लाख मीट्रिक टन था. भारत ने अक्‍टूबर-नवंबर 2024 दो महीनों के दौरान 6.05 लाख मीट्रिक टन सूरजमुखी तेल का आयात किया, जबकि‍ 2023 में इसी अवधि के दौरान 3.89 लाख मीट्रिक टन तेल आयात किया गया था.

'सार्क देशों से आयात के कारण राजस्‍व का नुकसान'

शंकर ठक्कर ने कहा कि भारत सरकार ने भले ही आयातित तेलों पर शुल्क बढ़ा दिया है, लेकिन सार्क देशों पर आयात शुल्‍क नहीं है, जिसका लाभ उठाते हुए इन देशों से बिना शुल्क खाद्य तेलों का आयत धड़ल्ले से हो रहा है, जिसका खामियाजा भारत सरकार को अपना राजस्व गंवा कर करना पड़ रहा है. इसलिए भारत सरकार को तुरंत जरूरी कदम उठाकर इस पर नकेल कसनी चाहिए, जिससे कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को मिल रहा लाभ बंद हो और भारत के राजस्व का नुकसान होने से भी बचाया जा सके.

मालूम हो कि इस साल देश में सोयाबीन का बंपर उत्‍पादन हुआ है. इसके बावजूद किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. देश की ज्‍यादातर मंडियों में किसानों को एमएसपी से नीचे अपनी उपज बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. यहां तक कि कई जगहों पर दाम इतने कम हो गए हैं कि किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

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