मलेशिया में लगातार आम तेल के उत्पादन में गिरावट आने और इंडोनेशिया में पाम तेल से जैव ईंधन उत्पादन बढ़ाए जाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाम तेल के दाम अन्य तेलों के मुकाबले काफी ऊपर चल रहे हैं. इस कारण से भारत में अब सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल के आयात में उल्लेखनीय उछाल देखने को मिल रहा है. भारत ने वर्ष 2024-25 (नवंबर-अक्टूबर) के पहले दो महीनों में खाद्य तेलों के आयात में 13.03 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है. अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने यह जानकारी दी.
देश में चालू सीजन 2024-25 के पहले दो महीनों के दौरान 27.25 लाख मीट्रिक टन विभिन्न खाद्य तेलों का आयात हुआ, जबकि पिछले सीजन (2023-24) में 24.55 लाख मीट्रिक टन तेल आयात किया गया था. पाम तेल (आरबीडी पामोलिन और कच्चे पाम तेल सहित) का आयात अक्टूबर-नवंबर 2024 में घटकर 13.42 लाख मीट्रिक टन रह गया, जबकि पिछले साल यह 17.63 लाख मीट्रिक टन था.
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वहीं, भारत का सोयाबीन तेल आयात 173.78 प्रतिशत बढ़कर 8.28 लाख मीट्रिक टन हो गया. पिछले सीजन में यह 3.02 लाख मीट्रिक टन था. भारत ने अक्टूबर-नवंबर 2024 दो महीनों के दौरान 6.05 लाख मीट्रिक टन सूरजमुखी तेल का आयात किया, जबकि 2023 में इसी अवधि के दौरान 3.89 लाख मीट्रिक टन तेल आयात किया गया था.
शंकर ठक्कर ने कहा कि भारत सरकार ने भले ही आयातित तेलों पर शुल्क बढ़ा दिया है, लेकिन सार्क देशों पर आयात शुल्क नहीं है, जिसका लाभ उठाते हुए इन देशों से बिना शुल्क खाद्य तेलों का आयत धड़ल्ले से हो रहा है, जिसका खामियाजा भारत सरकार को अपना राजस्व गंवा कर करना पड़ रहा है. इसलिए भारत सरकार को तुरंत जरूरी कदम उठाकर इस पर नकेल कसनी चाहिए, जिससे कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को मिल रहा लाभ बंद हो और भारत के राजस्व का नुकसान होने से भी बचाया जा सके.
मालूम हो कि इस साल देश में सोयाबीन का बंपर उत्पादन हुआ है. इसके बावजूद किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. देश की ज्यादातर मंडियों में किसानों को एमएसपी से नीचे अपनी उपज बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. यहां तक कि कई जगहों पर दाम इतने कम हो गए हैं कि किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है.