बीते कुछ दिन पहले ही देशभर में ऐग डे मनाया गया था. नेशनल ऐग कोआर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) का विज्ञापन भी कहता है कि ‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे’. इसी तर्ज पर चिकन डे मनाने की तैयारी चल रही है. आज पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) का एक प्रतिनिधि मंडल केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोतम रूपाला से मिला है. एक महीने पहले गोवा में भी चिकन डे मनाने की आवाज उठी थी. पीएफआई के चेयरमेन ने चिकन डे मनाने की डिमांड की थी. उनका कहना है कि अवेयरनेस बढ़ाने के लिए चिकन डे मनाना जरूरी है.
आज नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर ऐग डे मनाया जाता है. इसलिए प्रोटीन के बारे में जागरुक करने के लिए चिकन डे मनाना जरूरी है. खासतौर पर कोरोना के बाद और क्लाइमेट चेंज के चलते ये बहुत जरूरी हो जाता है. संभावना है कि दिसम्बर में ये खास दिन मनाया जा सकता है.
पीएफआई के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने किसान तक को बताया कि ऐग डे की तरह से हम चिकन डे मनाने की तैयारी कर रहे थे. इसका एक ही मकसद था कि लोगों को प्रोटीन के लिए जागरुक किया जाए. साथ ही इस बहाने चिकन की खपत भी बढ़ेगी. लेकिन केन्द्रीय मंत्री से मुलाकात करने के बाद ये तय हुआ कि प्रोटीन के लिए चिकन ही नहीं और भी दूसरी चीजों को शामिल किया जाए. इसलिए ये तय हुआ कि इस खास दिन को चिकन नहीं प्रोटीन डे नाम दिया जाएगा. जल्द ही इसके लिए एक तारीख तय की जाएगी. उम्मीद है कि ये तारीख दिसम्बर की ही होगी.
ये भी पढ़ें: Poultry: अंडे-चिकन के बारे में सोशल मीडिया पर फैलाई जा रहीं ये पांच बड़ी अफवाहें, जानें सच्चाई
पीएफआई के सेक्रेटरी रविन्द्र सिंह संधू ने बताया कि हमारे देश के कुल मीट उत्पादन में 51.44 फीसद हिस्सा चिकन का है. चिकन उत्पादन में भारत का दुनिया में पांचवा स्थान है. देश में 4.78 मिलियन टन चिकन का उत्पादन होता है. हमारे देश का पोल्ट्री सेक्टर बड़ा और विश्व की बेस्ट पोल्ट्री में शामिल है. जरूरत के हिसाब से हम कभी भी चिकन और अंडे का प्रोडक्शन बढ़ाने में सक्षम हैं. इसलिए हमारे देश में चिकन की कोई कमी नहीं है. देश के पांच राज्यों में ही कुल मीट उत्पादन का 58 फीसद उत्पादन होता है. प्रतिनिधि मंडल में जगदीश कादयान भी मौजूद थे.
रमेश खत्री पीएफआई के प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं. वर्तमान में वो पीएफआई के चेयरमेन हैं. इससे पहले भी अमेरिका की पोल्ट्री फेडरेशन के साथ मिलकर देश में 50 जगहों पर अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जा चुका है. रमेश खत्री ने किसान तक को बताया कि मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश के लोगों में प्रोटीन की बहुत कमी पाई जाती है. इसलिए ये जरूरी है कि लोगों को बताया जाए कि किस आइटम को खाने से कितना प्रोटीन हमारे शरीर को मिलता है. ये बात सही है कि कम दाम में ज्यादा प्रोटीन देने वाला चिकन है. लेकिन जो लोग नॉनवेज नहीं खाते हैं वो सोयाबीन, दूध-दही और पनीर खाकर भी प्रोटीन की जरूरत को पूरा कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: Poultry Egg: जानें दुनिया में कहां बिकता है मुर्गी का सबसे सस्ता और महंगा अंडा, पढ़ें डिटेल
एक्सपर्ट के मुताबिक जितना शरीर का कुल वजन होता है उसका उतने ही ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. जैसे किसी का वजन 80 किलो है तो उसे हर रोज 80 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होगी. इसलिए जो चिकन खा सकते हैं तो वो कम पैसों में ज्यादा प्रोटीन ले सकते हैं.