गर्मी के मौसम में बढ़ते तापमान का असर जानवरों पर भी होता है. बहुत सारे ऐसे जानवर हैं जो आक्रामक हो जाते हैं. जिसके चलते वो इंसानों पर हमला करने लगते हैं. स्ट्रींट डॉग (गली का कुत्ता) भी उसमे से एक है. आंकड़े बताते हैं कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है तो डॉग बाइट (कुत्तों के काटने) की घटनाएं बढ़ जाती हैं. कई ऐसे केस सामने आए हैं जहां कुत्तों के झुंड ने बच्चे ही नहीं बड़ों को भी नहीं बख्शा और हमला कर उनकी जान ले ली. नोएडा-ग्रेटर नोएडा के दर्जनों मामले ऐसे हैं जहां स्ट्रीट डॉग ने सोसाइटी के अंदर भी लोगों को नहीं बख्शा.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो गर्मियों में इस तरह की घटनाएं बढ़ जाती हैं. गर्मी से परेशान कुत्ते बच्चे और बड़ों सभी पर अटैक करना शुरू कर देते हैं. डॉग स्पेशलिस्ट और गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (गडवासु), लुधियाना में डॉग डिपार्टमेंट के मेडिसिन हैड डॉ. अश्वनी कुमार शर्मा का कहना है कि अगर हम छोटे-छोटे तीन-चार काम कर लें तो गली के कुत्ते कभी नहीं काटेंगे. खासतौर पर गर्मी के मौसम में उन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है.
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डॉ. अश्वनी कुमार शर्मा ने किसान तक को बताया कि खासतौर पर गर्मी के इस मौसम में कुत्ते बहुत आक्रामक हो जाते हैं. उसकी वजह ये है कि 40 से 45 डिग्री तापमान होने पर उनकी यह गर्मी और बढ़ जाती है. इंसानों की तरह से कुत्तों की गर्मी पसीने की तरह से नहीं निकलती है. मुंह के रास्ते ली जाने वाली सांस से वो अपने शरीर की गर्मी को मेंटेन करते हैं. जब गर्मी बहुत बढ़ जाती है तो ऐसा करने में उन्हें बहुत तकलीफ होती है. इसके चलते उनके अंदर चिढ़-चिढ़ापन आ जाता है.
डॉ. अश्वनी कुमार शर्मा ने बताया कि गर्मियों के दौरान आसपास घने पेड़ न होने के चलते कुत्तोंक को छांव भी नहीं मिल पाती है. घर के आसपास ठंडी जगह में हम उन्हें बैठने नहीं देते हैं. कार के नीचे बैठें तो हम उन्हें मारने लगते हैं. ऐसे वक्त न तो उन्हें खाना ही मिल पाता है और ना ही पानी. ऐसा भी नहीं होता है कि कोई उनके बदन पर पानी डाल दे तो उन्हें कुछ राहत मिले. जागरुकता की कमी के चलते लोग गली के कुत्तों की परेशानी को समझ नहीं पाते हैं.
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डॉ. अश्वनी ने बताया कि गली के कुत्तों के लिए जागरुकता बढ़ाई जानी चाहिए. डी वॉर्म और वैक्सीनेशन करके इन कुत्तों को भी गोद लिया जा सकता है. घर में इन्हें दूसरे पैट की तरह से रखा जा सकता है. चौंकाने वाली बात यह है कि जब इन्हें इस तरह से प्यार मिलता है तो बदले में यह दूसरी ब्रीड के कुत्तों के मुकाबले ज्यादा प्यार देते हैं और वफादार भी रहते हैं. इनकी नसबंदी करा कर और किसी एनजीओ की मदद से समय-समय पर इन्हें इलाज देकर भी गली के अंदर अच्छी तरीके से रखा जा सकता है.