ऊन उत्पादन से जुड़ी एक अच्छी और बड़ी खबर आई है. बीते कई साल से लगातार ऊन उत्पादन घट रहा था. बीते साल तो उत्पादन माइनस 10.37 में पहुंच गया था. आंध्रा प्रदेश और तेलंगाना उत्पादन के मामले में जीरो हो गए थे. लेकिन साल 2022-23 में ऊन उत्पादन बढ़ गया है. उत्पादन में दो फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. भेड़ से मिलने वाली ऊन का ज्यादातर इस्ते़माल गलीचा कारोबार में होता है. मगरा भेड़ से निकालने वाली ऊन के बने गलीचे विदेशों में बहुत पसंद किए जाते हैं. हालांकि एक्सपर्ट का मानना है कि उत्पादन घटने के पीछे कई बड़ी वजह हैं. भेड़ पालन दूध-मीट के लिए भी किया जाता है.
मंत्रालय के मुताबिक देश में भेड़ों की कुल संख्या करीब 7.50 करोड़ है. इसमे से प्योर ब्रीड वाली भेड़ों की संख्या करीब 2 करोड़ है. बीकानेरी, चोकला, मागरा, दानपुरी, मालपुरी तथा मारवाड़ी नस्ल की भेड़ो से प्राप्त होने वाले ऊन का इस्तेमाल कालीन बनाने में किया जाता है.
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केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि कई साल बाद ऊन उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. जबकि बीते पांच साल में 16.84 फीसद की कमी देखी गई थी. साल 2018-19 में ऊन का उत्पादन 40.42 मिलियन किलो था. लेकिन 2021-22 तक ये 33.13 मिलियन किलो पर आ गया था. अच्छी बात ये है कि साल 2022-23 ऊन उत्पादन के लिए अच्छा रहा है. बीते साल के मुकाबले 2.12 फीसद बढ़कर 33.61 मिलियन किलो पर आ गया है.
इसमे सबसे ज्यादा बढ़ोतरी राजस्थान में 47.98 फीसद पर पहुंच गई है. बीते साल ये आंकड़ा 45.91 पर था. कश्मीर, गुजरात और महाराष्ट्र में भी ऊन उत्पादन बढ़ा है. जम्मू-कश्मीर की हिस्सेदारी 22.55 फीसद, गुजरात की 6.01 फीसद, महाराष्ट्र की 4.73 फीसद पर पहुंच गई है. जबकि बीते साल के मुकाबले हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी कम होकर 4.27 फीसद पर आ गई है.
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साल 2015-16 में भेड़ की ऊन का देश में कुल प्रोडक्शन 4.35 करोड़ किलोग्राम था.
साल 2021-22 में ऊन का देश में कुल प्रोडक्शन 3.31 करोड़ किलोग्राम ही हुआ है.
साल 2021-22 में आंध्रा प्रदेश और तेलंगाना में ऊन प्रोडक्शन जीरो रहा है.
साल 2020-21 में तेलंगाना में 9.11 फीसद ऊन का उत्पादन हुआ था.
साल 2012 में भेड़ों की संख्या 6.5 करोड़ थीं, 2019 में 7.42 करोड़ हो गई.
साल में तीन बार भेड़ पर से ऊन उतारी जाती है.
भेड़ों की कुल 44 नस्ल रजिस्टर्ड हैं.
देश में ऊन का कुल प्रोडक्शन 33.61 मिलियन किलो है.
देश के पांच राज्यों में 85 फीसद ऊन प्रोडक्शन होता है.
कुल मीट प्रोडक्शन में भेड़ की हिस्सेदारी 10.33 फीसद है.