मौसम विभाग ने नांदेड़ जिले में चार दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है. वहीं, नांदेड़ जिले में मंगलवार शाम हुई ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान हुआ है. हल्दी, केला, ग्रीष्मकालीन ज्वार, आम, पपीता और अन्य फसलों और बागों को भारी नुकसान हुआ है. तेज हवा के कारण ग्रीष्मकालीन ज्वार गिर गया है और हाथ में आई ज्वार की फसल को नुकसान हुआ है. अशोक चव्हाण ने जायजा लेते समय कहा कि शासन ने पंचनामा करके सहायता तत्काल जारी करने की मांग की है. वही किसानों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द राहत प्रदान करें.
लगातार दो दिनों से तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि जिले में हाहाकार मचाया हुआ है. जिले के किसान चांदू जाधव ने 80 क्विंटल हल्दी पकाकर रखा था जो पानी से भीगने के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. जिसके बाद किसान चांदू जाधव रोने लगे. नांदेड़ शहर सहित अर्धपुर, कंधार, लोहा, माहुर, हिमायतगढ़ और हड़गांव आदि तहसीलों में भी बेमौसम बारिश, तेज हवाओं के साथ ओले गिरे हैं. बारिश करीब एक घंटे तक जारी रही. बारिश और ओलों के कारण फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है.
दिलचस्प बात यह है कि नांदेड़ जिला मार्च के महीने में भी ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश की चपेट में आया था. अर्धपुर, मुदखेड तहसील में ओलावृष्टि से कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है. किसानों को अभी तक मदद नहीं मिली है. ऐसे में किसान एक बार फिर संकट से मायूस हो गए हैं.
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पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने मंगलवार को हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई फसलों का निरीक्षण करते हुए कहा कि अर्धपुर तहसील में केले को भारी नुकसान हुआ है. केले के बागान क्षैतिज रूप से पड़े हैं. कटी हुई हल्दी को भी नुकसान पहुंचा है. इसके साथ ही ग्रीष्मकालीन ज्वार, आम, पपीता और अन्य फलों के बागों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. सरकार को जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए और किसानों को मदद देनी चाहिए.
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नांदेड़ में आंधी-तूफान और ओलावृष्टि से किसानों को दूसरी बार नुकसान उठाना पड़ा है. दूसरी बार इस आपदा के कारण ताड़न के साथ आने वाली घास खत्म हो गई है. किसानों की मांग है कि सरकार तत्काल पंचनामा कर सहायता की घोषणा करे.