अब बकरी पालन चार-पांच बकरियों तक ही सीमित नहीं रह गया है. ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ बिना पढ़े-लिखे लोग ही बकरी पालन करते हैं. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के रिकॉर्ड पर जाएं तो आईआईटी से पास आउट और रिटायर्ड आईएएस-आईपीएस भी बकरी पालन कर रहे हैं. बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने वालों में 60 फीसद से ज्यादा लोग ग्रेजुएट और उच्च शिक्षित हैं. ट्रेनिंग के लिए हमेशा 250 से 300 लोग वेटिंग में रहते हैं. नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत पशुपालन के लिए लोन दिया जाता है.
बकरी पालन की एक बानगी ये भी है कि लोन के आवेदन पत्रों की संख्या 14 हजार में से 12 हजार आवेदन तो सिर्फ बकरी पालन के लिए आए हैं. गौरतलब रहे बकरी पालन दूध और मीट दोनों के लिए ही किया जाता है. लेकिन कोरोना जैसी बीमारी और खासतौर पर डेंगू और चिकनगुनिया में फायदेमंद होने के चलते बकरी के दूध की डिमांड भी बढ़ गई है.
इसे भी पढ़ें: खतरे में है सी फूड एक्सपोर्ट का किंग झींगा, महज तीन साल में ही घट गया 20 फीसदी दाम
सीआईआरजी के ट्रेनिंग अधिकारी एके दीक्षित ने किसान तक को बताया कि हमारे यहां 70 से 80 के बैच में बकरी पालन से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. इस कोर्स की फीस 6500 रुपये है. इसी में रहना और खाना-पीना भी होता है. सबसे बड़ी बात ये है कि अगर आप बकरी पालन के लिए लोन लेना चाहते हैं तो आपको पहले ट्रेनिंग लेनी होगी. ट्रेनिंग के लिए सीआईआरजी की बेवसाइट www.cirg.res.in पर जाकर आनलाइन आवेदन किया जा सकता है. डाक द्वारा भी आवेदन कर सकते हैं. साथ ही हेल्पालाइन नंबर 0565-2970999 पर फोन कर ट्रेनिंग की जानकारी ली जा सकती है.
एके दीक्षित ने बताया कि अगर आप पशुपालन के लिए नेशनल लाइव स्टॉक मिशन (एनएलएम) या फिर किसी और माध्यम से लोन लेना चाहते हैं तो फिर आपको पशुपालन से जुड़ी ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट दिखाना होगा. बकरी पालन से जुड़ी ट्रेनिंग सीआईआरजी कराता है. वहीं गाय-भैंस से जुड़ी ट्रेनिंग दूसरे संस्थान कराते हैं. हमारे यहां सेल्फ फाइनेंस ट्रेनिंग भी कराई जाती हैं. अगर कोई एनजीओ, नाबार्ड या फिर राज्ये सरकार बकरी पालन की ट्रेनिंग दिलाना चाहती हैं तो उसके लिए भी संपर्क किया जा सकता है.
इसे भी पढ़ें: World Goat Day: ‘दूध नहीं दवाई है’ तो क्या इसलिए बढ़ रहा है बकरी के दूध का उत्पादन
एके दीक्षित ने बताया कि बकरी पालन की ट्रेनिंग में कई तरह की क्लास दी जाती है. इसमे हैल्थ की क्लास शामिल है. दाना-चारा कैसा हो, आवास कैसा हो. बीमारी से बचाने को टीके कब और कौनसे लगेंगे. दूध और मीट के लिए बकरियों से जुड़ी नस्ल की जानकारी दी जाती है. कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी जानकारी दी जाती है. सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जाता है. इतना ही नहीं सीआईआरजी से ट्रेनिंग ले चुके सक्सेस बकरी पालकों से भी मिलवाया जाता है.