एक से 15 फुट तक के साइज में पाई जाने वाली टूना फिश को खाने के बहुत फायदे है. लेकिन इसके दाम इतने ज्यादा होते हैं कि हर कोई इसका स्वाद नहीं ले पाता है. टूना फिश का स्वाद और इसके फायदे ही इसके लिए काल बन गए हैं. खारे पानी यानि समुंद्र की ये मछली अब गिनती में ना के बराबर रह गई है. इसे अटलांटिक ब्लूफिन के नाम से भी जाना जाता है. ब्रिटेन तो इसके शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया है. मछुआरों को साफ हिदायत दी गई है कि अगर गलती से भी टूना फिश फंस जाए तो उसे वापस समुंद्र में छोड़ दें.
टूना की संख्या बढ़ाने और उसे कैसे बचाया जाए इस पर चर्चा करने के लिए विभिन्न देशों से एक्सपर्ट और साइंटिस्ट मुम्बई में इकट्ठा हुए हैं. पांच दिन के इस कार्यक्रम में टूना से जुड़े तमाम तरह के फैक्ट्स भी रखे जाएंगे. टूना के महत्व का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि इसे बचाने के लिए एक टूना आयोग बनाया गया है.
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जानकारों की मानें तो टूना मछली एक फुट से लेकर 15 फुट तक लम्बी होती है. इसका वजन 250 किलो तक पहुंच जाता है. एक मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक साल 2018-19 में 218 किलो वजन की एक टूना मछली की नीलामी करीब 26 करोड़ रुपये की हुई थी. इतना ही नहीं मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि साल 2018 में टूना मछली का कारोबार करीब 41 बिलियन डॉलर का हुआ था. कहा जाता है कि टूना मछली दौड़ने में भी काफी तेज है. सभी देशों ने अपने हिसाब से टूना मछली के शिकार पर पाबंदी लगा रखी हैं, बावजूद इसके मछुआरों की कोशिश रहती है कि कैसे भी करके कम से कम एक बार तो टूना मछली उनके जाल में फंस जाए.
टूना के जानकार बताते हैं कि टूना मछली खाने के बहुत फायदे हैं. अगर हड्डियों के हिसाब से बात करें तो टूना में कैल्शियम, विटामिन-डी और मैग्नीशियम बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है. इसलिए टूना खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं. टूना में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा भी खूब होती है तो ये हॉर्ट को भी मजबूत करता है. आंखों को हेल्दी रखने और वजन घटाने के लिए भी टूना मछली फायदेमंद बताई जाती है. कोविड-19 के दौरान तो ये सामने आया था कि टूना फिश खाने से इम्यूानिटी भी बहुत तेजी से बढ़ती है.
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कार्यक्रम से जुड़े जानकारों की मानें तो मुम्बई में चल रहे कार्यक्रम में इंडोनेशिया, फ्रांस, स्पेन, यूरोपीय संघ में शामिल देशों समेत सेशेल्स, तंजानिया, ईरान, थाईलैंड, जापान, श्रीलंका, ओमान ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया है. कार्यक्रम के दौरान टूना फिश के डेटा संग्रह, संकलन और आईओटीसी को रिपोर्टिंग में विभिन्न देशों द्वारा अपनाई गई मौजूदा वैज्ञानिक विधियों पर चर्चा होगी.
वहीं विचार-विमर्श और विश्लेषण करने के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में डेटा संग्रह व सांख्यिकी के उन्नत और सरलीकृत तरीके प्रस्तुत किया जाएंगे. इस कार्यक्रम के फौरन बाद ही चार से आठ दिसंबर तक हिंद महासागर टूना आयोग की मुख्य वैज्ञानिक समिति की बैठक होगी. बैठक में हिंद महासागर में टूना और टूना जैसी प्रजातियों के प्रबंधन से संबंधित वैज्ञानिक सिफारिशों के लिए डब्ल्यूपीडीसीएस और विभिन्न अन्य कार्य दलों की सिफारिशों पर विचार किया जाएगा.