Animal Husbandry: पशुपालन को फायदेमंद बनाने के लिए मीडिया-सोशल मीडिया भी निभा सकते हैं अहम रोल

Animal Husbandry: पशुपालन को फायदेमंद बनाने के लिए मीडिया-सोशल मीडिया भी निभा सकते हैं अहम रोल

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि हरिशंकर आचार्य, उपनिदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, बीकानेर का कहना है कि पशुचिकित्सा, पशुकल्याण और पशु विज्ञान के कार्यों को समाचार पत्रों में विशेष महत्व देने की जरूरत है. इस दौरान दिनेश चन्द्र सक्सेना सेवानिवृत संयुक्त निदेशक, जन सम्पर्क विभाग ने कहा कि आज व्यवसायिकता का युग है इसमें हमे आर्थिक पहलू के साथ-साथ समाजिक उत्थान और सरोकार को भी महत्व देना होगा.

वर्कशॉप में मौजूद एनीमल और मीडिया एक्सपर्ट.
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Mar 21, 2024,
  • Updated Mar 21, 2024, 12:52 PM IST

कृषि के साथ ही देश की जीडीपी में पशुपालन का भी अहम रोल है. खाने की बात हो या फिर पशुओं से बने प्रोडक्ट की दोनों ही हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गए हैं. सुबह की शुरुआत ही पशुओं के दूध से बनी चाय-कॉफी से होती है. लेकिन अफसोस की बात ये है कि आज भी छोटे पशुपालकों को उनकी लागत और मेहनत के हिसाब से मुनाफा नहीं मिल पा रहा है. आज भी पशुपालन से जुड़ी कई ऐसी परेशानियां हैं जिन्हें दूर किया जाना बहुत जरूरी है, लेकिन ये बातें सरकार और योजना बनाने वाले अफसरों तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है. 

इसी को देखते हुए राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान यूनिवर्सिटी (राजुवास), बीकानेर ने एक वर्कशॉप का आयोजन किया था. वर्कशॉपका विषय “समाज और पशुपालन के परिपेक्ष्य में पत्रकारिता का महत्व” रखा गया था. कई बड़े एक्सपर्ट के साथ इस वर्कशॉप में बीएसफ के अफसर भी शामिल हुए. 

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पशुपालन और मीडिया पर ये बोले राजुवास के वाइस चांसलर 

राजुवास के वाइस चांसलर प्रो. सतीश के. गर्ग ने पशुपालन में मीडिया और सोशल मीडिया के महत्वा पर बोलते हुए कहा कि पत्रकारिता और सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों और पशुपालकों के मौजूदा हालात और परेशानी आदि को सरकार के ध्यान में लाकर हम पशुपालन कारोबार को और ज्यादा मजबूत बना सकते हैं. उनका कहना था कि मीडिया जहां सूचनाओं को जन-जन तक पहुंचाती है वहीं समाजिक सरोकार के कार्य करके राष्ट्र विकास में भी मददगार साबित हो सकते हैं. 

वहीं विशिष्ट अतिथि कमान्डेट (बीएसएफ) डॉ. गोपेश नाग ने कहा कि पशुचिकित्सा दूर-दराज इलाकों में रहकर पशुकल्याण के काम कर रहे हैं. पशु चिकित्साकों का कार्य क्षेत्र बहुत बड़ा है. पत्रकारिता और सोशम मीडिया के माध्यम से पशु कल्याण के कार्यों, रिसर्च और प्लान को आमजन तक पहुंचा सकते हैं. 

पशुपालन का होगा आने वाला वक्त  

इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि आने वाले सात साल में पशुपालन और मछली पालन में 72 लाख जॉब और एक लाख करोड़ का निवेश होने की उम्मीनद है. लेकिन इसके लिए हमे दो बेहद जरूरी काम करने होंगे. पहला तो ये कि प्रति पशु दूध उत्पादकता बढ़ाने पर जोर देना होगा और दूसरा ये कि आज देश में चारे की कमी है, इसे दूर करने के लिए हर संभव कोशिश करनी होगी. गांवों से युवाओं का पलायन रोकने की जरूरत है. पशुपालन में भी रोजगार है ये बात उन्हें समझाई जाएगी. 

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उनका कहना है कि आज फल-सब्जी से ज्यादा दूध और लाइव स्टॉक का उत्पादन बढ़ रहा है. अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो दूध का उत्पादन 10 गुना, पोल्ट्री का 23 गुना, फिशरीज का 12 गुना और फल-सब्जी का 5.5 गुना उत्पादन ही बढ़ा है. 

 

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