वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. ऐसे तापमान में अगर कोई खास गिरावट नहीं होती है तो यह वर्ष सबसे गर्म वर्ष की रिकॉर्ड लिस्ट में शीर्ष पर आ जाएगा. यूरोपीय मौसम एजेंसी कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर सितंबर और दिसंबर के बीच औसत तापमान में कम से कम 0.30 डिग्री सेल्सियस की गिरावट की जरूरत है. अगर यह हो जाता है तो 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष नहीं बनेगा. इस साल शेष महीनों के लिए औसत वैश्विक तापमान में कम से कम 0.30 डिग्री सेल्सियस गिरावट होने पर वर्ष 2024, 2023 की तुलना में ज्यादा गर्म नहीं होगा.
वैश्विक तापमान के लिहाज से इस साल अगस्त दुनिया का सबसे गर्म अगस्त था, जबकि जून 2024 से अगस्त 2024 यानी तीन महीने भी रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दर्ज किए गए. इस साल अगस्त में औसत सतही वायु तापमान 16.82 डिग्री सेल्सियस था, जो अगस्त 1991-2020 के औसत से 0.71 डिग्री सेल्सियस अधिक था.
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बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, C3S ने कहा कि पिछले 14 माह के दौरान अगस्त 2024 13वां ऐसा महीना था, जिस दौरान वैश्विक औसत सतही वायु तापमान पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक था. पिछले 12 महीनों यानी सितंबर 2023 से अगस्त 2024 का वैश्विक औसत तापमान साल 1991-2020 के औसत से 0.76 डिग्री सेल्सियस अधिक और 1850-1900 पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.64 डिग्री सेल्सियस अधिक है.
यूरोपीय मौसम एजेंसी ने भारत के संबंध में कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप मॉनसून की बारिश और चक्रवात असना से प्रभावित था. इस बार बोरियल ग्रीष्म यानी जून से अगस्त 2024 के लिए वैश्विक औसत तापमान इन तीन महीनों के लिए 1991-2020 के औसत से 0.69 डिग्री सेल्सियस बढ़ने के साथ रिकॉर्ड पर सबसे ज्यादा था, जबकि इस साल जून से अगस्त के बीच वैश्विक औसत तापमान जून 2023 से अगस्त 2023 के वैश्विक औसत तापमान 0.66 डिग्री के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया.
कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (C3S) की उप निदेशक सामंथा बर्गेस के अनुसार, 2024 के पिछले तीन महीनों के दौरान दुनिया ने सबसे गर्म जून और अगस्त रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दिन और रिकॉर्ड पर सबसे गर्म बोरियल ग्रीष्मकाल का अनुभव किया है. रिकॉर्ड तापमान की यह श्रृंखला 2024 के रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष होने की संभावना को बढ़ा रही है. उन्होंने कहा कि इस गर्मी में देखी गई तापमान से जुड़ी चरम घटनाएं और भी तीव्र होंगी.