आज किसी भी पशुपालक की सबसे बड़ी परेशानी है कि हरा चारा आसानी से और पौष्टिक नहीं मिलता है. ऑर्गेनिक की डिमांड के चलते पशुओं के लिए हरा चारा जुटाना मुश्किल हो गया है. सर्दियों के मौसम में तो फिर भी हरे चारे की जुगाड़ हो ही जाती है, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी आती है गर्मी और बरसात के मौसम में. गर्मी में हरा चारा ना के बराबर रह जाता है, जबकि बरसात के दौरान हरे चारे में नमी ज्यादा होती है. बकरियों को भी दाने और सूखे चारे के साथ हरे चारे की जरूरत होती है. लेकिन केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट की मानें तो मोरिंगा (सहजन) एक ऐसा ही हरा चारा है. ये एक ऐसा पेड़ है जिसके पत्ते से लेकर तना तक भेड़-बकरियों के लिए चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.