पराली को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार शुरू से ही गंभीर है. हाल के दिनों में जब वायु गुणवत्ता सूचकांक दिल्ली सहित यूपी के कई शहरों का खराब होने लगा तो फिर से सख्ती और बढ़ गई. उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग के द्वारा भी पराली न जलाने को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाए गए लेकिन इसके बावजूद भी सिद्धार्थनगर जनपद में खूब पराली जलाई जा रही है. यहां तक की जिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद भी कंबाइन मशीनों के साथ रीपर नहीं लगाए गए. रीपर न लगाने की वजह से किसान खेत में बच रही पराली को किसान जला रहे है. सिद्धार्थ नगर जिले में पराली जलाने की घटना पर अंकुश लगाने में नाकाम रहे 46 अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई है. कृषि उपनिदेशक ए के विश्वकर्मा ने तहसील ,ब्लाक और न्याय पंचायत स्तर पर तैनात विभागीय कर्मचारियों का वेतन रोकने का आदेश दिया है. वहीं उन्होंने लापरवाही बरतने पर निलंबन की कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है.
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यूपी के सभी जिलों में पराली को लेकर सरकार ही नहीं बल्कि कृषि विभाग भी पूरी तरीके से सचेत है. इसके बावजूद सिद्धार्थनगर जनपद में पराली को लेकर अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं. जिले में धान की कटाई कंबाइन मशीनों से कराई गई है. जिला अधिकारी के आदेश के बावजूद भी इन कंबाइन मशीनों में रीपर नहीं लगाया गया जिसके चलते खेतों में पराली बची हुई है. जिले के किसान गोपाल तिवारी ने बताया कि एक बीघा फसल कंबाइन से कटवाने में ₹600 का खर्च आता है. वहीं मजदूर से कटवाने में ₹1000 का खर्च आता है, यदि रीपर के साथ कंबाइन मशीन से कटाई करनी हो तो यह खर्च ₹900 तक पहुंच जाता है. ऐसे में ज्यादातर किसान बिना रीपर की कंबाइन मशीनों से ही फसल की कटाई कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद में पराली जलाने पर अंकुश लगाने में नाकाम रहे 46 अधिकारियों एवं कर्मचारियों का एक माह का वेतन रोक दिया गया है. कृषि उपनिदेशक ए के विश्वकर्मा ने जिले के तहसील, ब्लाक और न्याय पंचायत स्तर पर तैनात विभागीय कर्मचारियों पर कार्रवाई की है. उन्होंने लापरवाही बरतने पर विभागीय कर्मचारियों के निलंबन की चेतावनी भी दी है. जिले के बांसी, इटवा ,डुमरियागंज और शोहरतगढ़ तहसीलों में पराली जलाने की कई घटनाएं सामने आई है. जिले में अक्टूबर माह में पराली जलाने की कुल 61 घटनाएं हुई है. इसमें से 46 गांव के लोग प्रभावित हुए हैं. पिछले वर्ष जिले में पराली जलाने के सिर्फ 6 घटनाएं हुई थी इस वर्ष 46 मामलों में खेत में धान फसल अवशेष जलाने और 11 मामलों में कूड़ा जलाने की घटनाएं हुई है. इन घटनाओं पर पराली जलाने वालों पर 1.05 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है लेकिन अभी तक कोई वसूली नहीं हुई है.