भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा दूध उत्पादों को A1 या A2 के रूप में लेबलिंग करने के संबंध में जारी एक नोटिस ने उत्पादकों और जनता के बीच भ्रम पैदा कर दिया है. हाल ही में फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने A2 दूध का दावा कर सभी डेयरी उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस प्रतिबंध के संबंध में जारी पत्र में विशेष रूप से घी और मक्खन को लेकर चर्चा की गई थी. अपने इस प्रतिबंध को लेकर FSSAI ने कई अधिनियमों का हवाला भी दिया था. लेकिन आज, FSSAI ने अपने उसी फैसले को अचानक वापस ले लिया है. हालांकि, FSSAI ने प्रतिबंध वापसी के संबंध में कोई विशेष तर्क नहीं दिया है. अपने संक्षिप्त पत्र में केवल यह कहा गया है कि डेयरी कारोबारियों से बातचीत के बाद प्रतिबंध वापसी का यह फैसला लिया गया है.
गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना के कुलपति, डॉ. इंदरजीत सिंह ने A1 और A2 दूध के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए बताया कि A2 दूध वह होता है जिसमें केवल A2 प्रकार के बीटा-कैसिइन प्रोटीन होते हैं, जो मुख्य रूप से देशी ज़ेबू गायों, भैंसों और बकरियों में पाया जाता है. उन्होंने कहा कि भारतीय नस्लों की गाय और भैंसें A2 दूध का उत्पादन करती थीं, जब तक कि कुछ यूरोपीय नस्लों में एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन नहीं हुआ, जिसके कारण A1 बीटा-कैसिइन भी पाया जाने लगा.
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डॉ. इंदरजीत सिंह ने कहा कि यूरोपीय नस्लों के साथ क्रॉस ब्रीडिंग के बाद, देश में दो प्रकार के दूध, A1 और A2, बनने लगे. देशी भारतीय नस्लें, जैसे साहीवाल, गिर, रेड सिंधी, भैंस, और बकरी, स्वाभाविक रूप से A2 दूध का उत्पादन करती हैं. डॉ. सिंह ने बताया कि इसे ध्यान में रखते हुए, दुनिया भर में डेयरी जेनेटिक्स कंपनियां A2 नस्ल के सांडों से प्रजनन कराकर कई देशों में A2 दूध का उत्पादन बढ़ाने और A2 सांडों और उनकी संतानों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रजनन नीतियों को प्रोत्साहित कर रही हैं. इन कंपनियों ने अपने दूध उत्पादों में A2 कैसिइन जीन का विवरण शामिल किया है, जिससे उनकी स्वीकार्यता बढ़ गई है,भले ही मानव स्वास्थ्य पर बीटा-कैसिइन के लाभ अभी तक साबित नही हुए हैं.
डॉ. सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि घी, जो केवल वसा होता है और जिसमें कोई प्रोटीन नहीं होता, उसे A2 घी के रूप में लेबल नहीं किया जा सकता. उपभोक्ताओं की पसंद और कुछ आयुर्वेदिक नुस्खों को ध्यान में रखते हुए, उपभोक्ताओं को यह जानकारी होनी चाहिए कि घी किस प्रकार के दूध से तैयार किया गया है. कॉलिज ऑफ डेयरी और फूड साइंस टेक्नोलॉजी के डीन, डॉ. आर. एस. सेठी ने बताया कि हाल ही में एफएसएसएआई द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश बहुत ही सामान्य थे, जिसके कारण उन्हें जल्द ही वापस लेना पड़ा. उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को डेयरी उत्पादों का चयन करते समय सटीक और सत्यापित जानकारी पर भरोसा करना चाहिए और भ्रामक लेबलों से सावधान रहना चाहिए.