धान और मक्के पर हो सकता है कीटों का प्रकोप, बचाव में ये उपाय करें ओडिशा के किसान

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धान और मक्के पर हो सकता है कीटों का प्रकोप, बचाव में ये उपाय करें ओडिशा के किसान

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ओडिशा में भी किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. मूंग किसानों के लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि जो मूंग की फलिया कटाई के लिए तैयार हो गई हैं उन्हें काटकर सुरक्षित और सूखे स्थान में रख दें. अगर फलियों में नमी है तो उन्हें धूप में सुखाकर नमी को भंडारण करने योग्य कम करना चाहिए. इस मूंग और उड़द की फसल में फली छेदक कीट के संक्रमण हो सकता है. इसके प्रकोप को कम करने के लिए फ्लुबेंडियामाइड 20 प्रतिशत का  150 ग्राम या क्लोरेंट्रिनिलिपोल 0.4 प्रतिशत जी का 10 ग्राम 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. 
 

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तापमान में बदलाव और मौसम में हो रहे बदलाव के कारण इस वक्त धान के खेत में कीट का प्रकोप हो सकता है. धान की फसल को कीट के प्रकोप से बचाने के लिए कीट प्रबंधन का उचित तरीका अपनाएं. ब्राउन प्लांट हॉपर के प्रकोप से धान को बचाने के लिए पाइरेमेट्रिज़िन 50 प्रतिशत डब्ल्यूजी का 120 ग्राम को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इसके अलावा  इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल का  50 मिली भी 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. 
 

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इस समय धान में तना छेदक कीट का भी प्रकोप होता है. अगर खेत में इस रोग का प्रकोप दिखाई दे तो फिर खेत में यूरिया का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. इसके साथ ही नीम तेल 1500 पीपीएम का 1.5 मिली प्रति लीटर का छिड़काव करना चाहिए. अगर खेत में तना छेदक कीट का प्रकोप बहुत ज्यादा बढ़ गया है तो दानेदार कीटनाशक क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 0.4 प्रतिशत जीआर का इस्तेमाल करें. प्रति एकड़ चार किलोग्राम जीआर का इस्तेमाल करें.
 

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इसके अलावा धान के खेत में झुंड में रहने वाले कैटरपिलर का प्रकोप देखा जा सकता है. मुख्य तौर पर यह कीट टिलरिंग से हेडिंग अवस्था तक देखा जाता है. इस कीट के प्रकोप से धान की फसल को काफी नुकसान हो जाता है. इस झुंड कैटरपिलर के प्रकोप को कम करने के लिए खेत में क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी का 500 मिलीलीटर या क्विनालोफॉस का प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. 
 

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मक्के को लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि परिपक्व फलों की कटाई करें और अगर अच्छी कीमत मिल रही है तो उन्हें बेच दें. फॉल आर्मी वर्म के हमले को नियंत्रित करने के लिए, इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एसजी का 4 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. एफिड्स और अन्य चूसने वाले कीड़ों के प्रबंधन के लिए, इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल का 2 एमएल प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें.
 

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कद्दू को लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि फलों के नीचे कोई बोरी या पॉलिथीन रखें और उस पर फल उगने दें. कद्दू के पौधों में इस वक्त अल्टरनेरिया पत्ती झुलसा रोग हो सकता है. इससे पौधे मर जाते हैं. उपज पर असर पड़ता है. इससे बचाव के लिए झुलसा रोग का प्रबंधन करें. इससे बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम या मैन्कोजेब का 2 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करें. पौधों के पास उगे खरपतवारों को हटा दें.
 

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भिंडी को लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि पके फलों की तुड़ाई कर सुरक्षित स्थानों पर रखें. इस समय खेतों में पीली शिरा मोज़ेक वायरस सफेद मक्खी के माध्यम से फैल सकता है. इसे प्रबंधित करने के लिए क्विनालफॉस 25 ईसी का 2 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.फल और तना छेदक कीट को नियंत्रित करने के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट का 4 ग्राम का 10 लीटर का छिड़काव करें. खेत को खरपतवार से मुक्त रखें.