भारत का इंंटरनेशनल कृषि व्यापार बीते कुछ समय से बेपटरी है. मसलन, भारत ने गेहूं, चावल, प्याज जैसे कुछ कृषि उत्पाद के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया हुआ है. इस वजह से किसानों की मुश्किलें बढ़ी हुई है, लेकिन बीते दिनों केंद्र सरकार ने शर्त के साथ प्याज और चावल एक्सपोर्ट को हरी झंडी दी है. मसलन, शर्त ये ही है कि नेशनल कॉऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड यानी NCEL देश से प्याज और चावल का एक्सपोर्ट करेगा. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर ये NCEL क्या है.
NCEL अगर कृषि उत्पादों को एक्सपोर्ट करेगा तो किसानों को क्या फायदा. साथ ही ये जानेंगे कि आखिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि NCEL देश में अमूल मॉडल की तर्ज पर किसानों की जिंदगी में बदलाव ला सकता है. आइए समझते हैं पूरी कहानी...
राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड यानी NCEL एक बहु राज्य सहकारी समिति है. जिसे देश के सभी राज्यों में काम कर रही सहकारी समितियों की अंब्रेला सहकारी एजेंसी कहा जा सकता है, जो सहकारी क्षेत्र के निर्यात यानी एक्सपोर्ट के लिए काम करेगा. असल में देश के अंदर 8 लाख से अधिक पंजीकृत सहकारी समितियां हैं, जिनके 29 करोड़ से अधिक सदस्य हैं. ये सहकारी समितियां ग्रामीण स्तर पर कृषि, डेयरी, पशुधन, हर्बल दवाएं, हस्तशिल्प के कार्यों में लगी हुई हैं. वहीं इन्हीं उत्पादों की विश्व बाजार में बेहद मांग है. अभी तक इन उत्पादों को विश्व बाजार में यानी भारत से एक्सपोर्ट प्राइवेट प्लेयर करते थे, लेकिन अब कृषि उत्पाद समेत सहकारी समितियों के उत्पादों को NCEL एक्सपोर्ट करेगा.
NCEL को 2000 करोड़ के फंड के साथ शुरू किया गया है. असल में NCEL को जीसीएमएमएफ (अमूल), ,इफको, कृभको, नेफेड और एनसीडीसी ने संयुक्त रूप से प्रमोट किया है. एनसीईएल की अधिकृत शेयर पूंजी ₹ 2000 करोड़ है.
NCEL का सदस्य क्या देश का प्रत्येक किसान बनेगा. सवाल का जवाब खोजने के लिए सहकारिता के फार्मेट यानी मॉडल को समझना होगा. असल में सहकारी समितियों के सदस्य उसके स्टेकहोल्डर होते हैं. उदाहरण के तौर पर अमूल को लेते हैं. अमूल गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन का ब्रांड है, इस कोऑपरेटिव समिति के सदस्य वह सभी पशुपालक हैं, जो अमूल में दुध की सप्लाई करते हैं. अब सहकारिता मंत्रालय देश के प्रत्येक गांव में पैक्स यानी प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी का विस्तार कर रहा है. जिसके पास अनाज समेत अन्य कृषि उत्पादों की खरीद और बिक्री का अधिकार है. वहीं पैक्स NCEL का सदस्य बन सकता है. ऐसे में पैक्स के माध्यम से देश का प्रत्येक किसान सहकारी समिति और NCEL का हिस्सा बन सकता है.
NCEL से किसानों को क्या फायदा होगा. इस सवाल का जवाब NCEL की शुरुआत के समय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दिया था. अमित शाह ने अपने भाषण में कहा था कि NCEL किसानाें या पैक्स से कृषि उत्पाद खरीद कर विदेशों में बेचेगा और उसका मुनाफा मिल्क कोऑपरेटिव की तर्ज पर किसानों के पास जाएगा. सीधे तौर पर कहा जाए तो अमित शाह ने NCEL में भी अमूल की तर्ज पर मुनाफा की हिस्सेदारी का मॉडल बनाने की तरफ इशारा किया है. असल में अमूल ने ही मुनाफे की हिस्स्देारी के बंटवारे का मॉडल बनाया था, जिसे बाद में NDDB ने अन्य मिल्क कोऑपरेटिव में लागू किया. ऐसे में उम्मीद है कि NCEL देश में विस्तार करते हुए दुनिया में कारोबार करेगा और इससे मुनाफे से देश के किसानों की जिदंगी बदल जाएगी.