सर्दियों में पशुओं के लिए फायदेमंद है अजोला घास, जानें इससे जुड़ी पूरी जानकारी

सर्दियों में पशुओं के लिए फायदेमंद है अजोला घास, जानें इससे जुड़ी पूरी जानकारी

जोला एक तरह जलीय फर्न है, जो पानी की सतह पर उगता है. हरी खाद के रूप में इसकी खेती की जाती है. जो उवर्रक क्षमता बढ़ाने के काम आती है.

अजोला घासअजोला घास
क‍िसान तक
  • Jaipur,
  • Dec 19, 2022,
  • Updated Dec 19, 2022, 3:21 PM IST

अजोला...हो सकता है आपके लिए यह नाम काफी नया हो, लेकिन देश के कई किसानों के लिए यह बिलकुल भी नया नहीं है. इसे सर्द‍ियों में पशुओं के ल‍िए बेहतर चारा माना जाता है. असल में अजोला एक तरह जलीय फर्न है, जो पानी की सतह पर उगता है. हरी खाद के रूप में इसकी खेती की जाती है. जो उवर्रक क्षमता बढ़ाने के काम आती है. नम जमीन पर यह जिंदा रहता है. अच्छे विकास के लिए अजोला को भूमि की सतह पर 5 से 10 सेंटीमीटर ऊंचे जलस्तर की ज़रूरत होती है. 25 से 30 डिग्री टेम्परेचर इसकी वृद्धि के लिए उपयुक्त माना जाता है. 

कम लागत में पौष्टिक चारा

हमारे देश में दुधारू पशुओं को वर्ष भर हरा चारा नहीं मिल पाता. अजोला की उत्पादन लागत बेहद कम आती है. अजोला की उत्पादन लागत 2-3 रुपए प्रति किलो तक आती है. साथ ही इसके उत्पादन में कम पानी की जरूरत पड़ती है. किसान अपनी बंजर ज़मीन या खाली जगह में आसानी से अजोला का उत्पादन कर पशुपालन के आहार पर होने वाले खर्च को कम कर सकते हैं. 

पशुओं के लिए लाभदायक चारा

अजोला घास को पशुओं के लिए ड्राइफ्रूट कहा जाता है. इसे हरे चारे के रूप में पशुओं को खिलाया जाता है. क्योंकि अजोला में 25 से 30 प्रतिशत प्रोट्रीन पाया जाता है. यह दूसरे अन्य किसी भी चारे की तुलना में काफी ज्यादा है. इस घास को गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, सभी तरह के पशुओं को खिला सकते हैं.

अजोला का सबसे अधिक उपयोग कुक्कुट, मुर्गी, भेड़, बकरी, खरगोश पालने वाले व्यवसाई करते हैं. साथ ही अजोला दुधारू पशुओं का दूध बढ़ाने का काम करता है. इसमें फास्फोरस पाया जाता है, इसीलिए यह पशुओं के पेशाब में आने वाले खून की समस्या को दूर करता है.

अजोला का चारा पशुओ में फास्फोरस, आयरन और कैल्शियम की पूर्ति करता है.  इसके अलावा इसमें एमिनो एसिड, प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन B-12, बीटा कैरोटीन, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, मैगनेशियम और कॉपर जैसे खनिज पदार्थ भी अच्छी मात्रा पाई जाती हैं. शुष्क अजोला में 10-15 प्रतिशत खनिज पदार्थ, 40 - 60 प्रतिशत प्रोटीन और 7-10 प्रतिशत एमिनो अम्ल और पोलीमर्स भी पाया जाता है. इस घास में वसा व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत ही कम पाई जाती है. 

ऐसे तैयार करें अजोला

अजोला घास को किसान किसी भी खाली जगह में पैदा कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले किसी छायादार जगह पर 60 फुट लंबी, 10 फीट चौड़ी और दो फीट गहरी क्यारि तैयार की जाती हैं. इन क्यारियों  में कम से कम 120 गेज की सिलपुटिन शीट  लगाई जाती है.

इसके बाद क्यारी में करीब 100 किलो उपजाऊ खेत की मिट्टी बिछाई जाती है. फिर 15 लीटर पानी में 5-7 किलो पुराने गोबर को मिलाकर घोल तैयार किया जाता है. इसके बाद क्यारी में करीब 500 लीटर पानी से भरना होता है. पानी की गहराई 12-15 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए. मिट्टी और गोबर खाद को इस पानी में अच्छे से मिलाया जाता है.

इस घोल पर दो-ढाई किलो ताजे अजोला को फैला जाता है तथा 10 लीटर पानी का छिड़काव अजोला के ऊपर करना होता है, इससे अजोला अपनी सामान्य स्थिति में आ जाता है. इसके बाद क्यारियों को नायलोन की जालियों से ढंककर 15-20 दिन के लिए छोड़ दिया जाता है.

21वें दिन से हर रोज 18-20 किलो अजोला प्राप्त किया जा सकता है. साथ ही अगर आप रोजाना अजोला का उत्पादन चाहते हैं तो लगभग 45 किलो गोबर और 15-20 ग्राम सुपरफास्फेट का घोल क्यारियों में छिड़कना होता है. 
 

MORE NEWS

Read more!