गर्मियों में शरीर को ठंडक पहुंचाने का तरबूज से अच्छा विकल्प कोई और नहीं हो सकता. तरबूज गर्मियों का सबसे खास फल होता है. ये अपने मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है. इसमें 90 प्रतिशत से अधिक पानी की मात्रा पाई जाती है. तरबूज की खेती जायद सीजन यानी फरवरी में की जाती है. किसान इसे नकदी फसल के तौर पर उगाते हैं. गर्मियों के मौसम में तरबूज की मांग बाजारों में काफी बढ़ जाती है. साथ ही इस फल में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. वैसे तो तरबूज का उत्पादन भारत के लगभग सभी राज्यों में किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि तरबूज उत्पादन कौन सा राज्य आगे हैं.
तरबूज के उत्पादन में देश के सिर्फ ये सात राज्य अकेले 85 प्रतिशत का उत्पादन करते हैं. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वह सात राज्य, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक हैं.
तरबूज उत्पादन के मामले में, यूपी देश के अन्य सभी राज्यों में आगे है. क्योंकि यहां की मिट्टी और जलवायु तरबूज की खेती के लिए अनुकूल है. वहीं राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल उत्पादित होने वाले तरबूज उत्पादन में यूपी अकेले 20.54 प्रतिशत का उत्पादन करता है.
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तरबूज उत्पादन के मामले में यूपी जहां सबसे आगे है. वहीं उसके बाद आंध्र प्रदेश है, जहां कुल 17.56 प्रतिशत तरबूज का उत्पादन होता है, फिर तमिलनाडु है, जहां 15.32 प्रतिशत उत्पादन होता है. उसके बाद मध्य प्रदेश है, यहां कि हिस्सेदारी 12.53 फीसदी है, फिर ओडिशा है, जहां 8.61 फीसदी तरबूज का उत्पादन होता है. वहीं, उसके बाद बंगाल है, जहां 6.13 फीसदी पैदावार होता है और फिर कर्नाटक है, जहां 4.90 प्रतिशत तरबूज का उत्पादन किया जाता है. इनके अलावा अन्य राज्य भी हैं जहां बचे हुए 15 प्रतिशत तरबूज का उत्पादन किया जाता है.
तरबूज की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है. वहीं, खेती करने से पहले खेतों की तैयारी मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. खेतों में पानी कम या ज्यादा नहीं होना चाहिए. मिट्टी में गोबर की खाद को अच्छी तरह मिला लें. इसके अलावा अगर रेत की मात्रा अधिक है, तो ऊपरी सतह को हटाकर नीचे की मिट्टी में खाद मिलाना चाहिए. बता दें कि जलवायु और परिस्थितियों के अनुसार पहाड़ी, मैदानी और नदियों वाले क्षेत्र में तरबूज की खेती अलग-अलग महीने में की जाती है. जहां उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में तरबूज की बुवाई फरवरी और मार्च में की जाती है. इसके अलावा नदियों के किनारों पर बुवाई नवंबर में करनी चाहिए.