भारत में तब अंग्रेजों का शासन था. इस शासन में देश की कुछ जातियां योद्धा थीं. व्यापारी थीं और घूम-घूम कर अपना बसर करती थीं. 1857 की क्रांति में इन्हीं घूमंतु जातियों ने अपना पूरा सहयोग दिया था. इसीलिए अंग्रेजों ने 1871 में क्रिमिनल ट्राइब एक्ट लागू कर दिया. इस कानून की वजह से ये जनजातियां समाज की मुख्यधारा से कट गईं. आजादी के बाद तक ये कानून भारत में लागू था. साल 1952 में देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसे निरस्त कर दिया. तब से इस दिन को विमुक्त, घूमंतु और अर्द्धघुमन्तू जनजातियां मुक्ति दिवस के रूप में मनाते आए हैं.
अब राजस्थान सरकार ने घोषणा की है कि अगले साल से मुक्ति दिवस 31 अगस्त को मनाया जाएगा. सीएम अशोक गहलोत ने इन जातियों, जनजातियों के लिए किए गए कामों को भी गिनाया.
सीएम ने घोषणा की कि अब हर साल 31 अगस्त को विमुक्त, घुमन्तू एवं अर्द्धघुमन्तू जनजाति दिवस के रूप में मनाया जाएगा. पिछड़े वर्गों का हक है कि उन्हें सरकार से मदद और संबल मिले. सीएम ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर बल देने एवं एकजुटता से ही वंचित समाजों की प्रगति संभव है.
समुदाय के विद्यार्थियों के लिए प्रदेश में दो हॉस्टल बनाए जा रहे हैं. राज्य विमुक्त, घुमन्तू, अर्द्ध घुमन्तू बोर्ड की अध्यक्ष उर्मिला योगी ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से डीएनटी समुदाय के लिए गांवों में 150 वर्गगज एवं शहरों में 50 वर्गगज तक के पट्टों का निःशुल्क आवंटन किया गया है.
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मुक्ति दिवस आयोजन पर सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि संविधान की भावना के अनुरूप वंचित वर्गों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना राज्य सरकार का ध्येय है. विमुक्त, घुमन्तू एवं अर्द्धघुमन्तू जनजातियों (डीएनटी) के विकास के लिए हमारी सरकार ने 50 करोड़ रूपए के कोष की स्थापना की है.
वहीं, डीएनटी समाज की पारम्परिक कलाओं एवं उद्यम के लिए पांच करोड़ रूपए की राशि से डीएनटी रिसर्च एवं प्रिजर्वेशन सेन्टर बनाया जा रहा है. इसके अलावा समाज के लोगों को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाने एवं कलाकारों को रोजगार एवं आर्थिक प्रोत्साहन देने का काम किया जा रहा है.
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समाज के विद्यार्थियों को आवास व शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए योजना लाई गई है. साथ ही विमुक्त, घुमन्तू एवं अर्द्धघुमन्तू समुदाय के उत्थान के लिए जल्द ही डीएनटी पॉलिसी लाई जाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विमुक्त, घुमन्तू एवं अर्द्धघुमन्तू जनजाति समुदाय (डीएनटी) ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इसी वजह से अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट-1871 जैसा अत्याचारी कानून बनाकर इस समुदाय को प्रताड़ित किया. आजादी के बाद पंडित नेहरू ने ही 1955 में गाड़िया लोहार समुदाय को चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश दिलाया था. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के निर्णयों से डीएनटी समाज सहित सभी वंचित वर्गों को पंचायतीराज संस्थाओं में राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिला.