केंद्र सरकार ने 2025-26 में चीनी से इथेनॉल उत्पादन पर लागू मात्रात्मक प्रतिबंध हटा दिए हैं. ऐसे में चीनी उद्योग ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे किसानों के लिए "जैकपॉट" बताया है. उद्योग का कहना है कि इससे गन्ना भुगतान समय पर सुनिश्चित होगा और कीमतों पर नियंत्रण रहेगा. खाद्य मंत्रालय ने 1 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें 2024-25 की इथेनॉल सप्लाई ईयर (ESY) में लागू 4 मिलियन टन की चीनी उत्पादन सीमा को हटा दिया गया. 2025-26 के ESY में गन्ना रस, चीनी सिरप, बी-हैवी मोलासेस और सी-हैवी मोलासेस से इथेनॉल उत्पादन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा. यह कदम शुगर (कंट्रोल) आदेश 2025 के अनुरूप है.
ISMA के डायरेक्टर जनरल दीपक बालानी ने बताया कि यह उच्च चीनी उत्पादन के मद्देनजर सकारात्मक कदम है. 2025-26 में लगभग 5 मिलियन टन चीनी को इथेनॉल उत्पादन के लिए डायवर्ट किया जा सकता है. इससे मिलों को चीनी का स्टॉक संतुलित रखने, कीमतों को नियंत्रित करने और किसानों को समय पर गन्ना भुगतान सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.
AISTA के चेयरमैन प्रफुल्ल विथलानी ने कहा कि यह किसानों के लिए वास्तव में जैकपॉट है, क्योंकि उन्हें गन्ना भुगतान जल्दी मिलेगा. उन्होंने बताया कि अब मिलें इथेनॉल उत्पादन कर सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरियों से तेजी से भुगतान प्राप्त कर सकती हैं, बजाय इसके कि मौजूदा मौसम में कामकाजी पूंजी के लिए चीनी को मासिक कोटा से अधिक बेचें.
NFCSF के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रकाश पी. नैकनावरे ने कहा कि यह कदम शुगर कंट्रोल ऑर्डर 2025 के अनुरूप है और मिलों को उत्पाद प्रोफाइल तय करने में लचीलापन देता है. प्रारंभ में, सरकार ने 2024-25 के ESY में इथेनॉल के लिए 4 मिलियन टन चीनी डायवर्जन पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे बाद में घटाकर 3.3 मिलियन टन कर दिया गया. अब तक इससे 340 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हुआ है.
ISMA को उम्मीद है कि 2025-26 के ESY में 5 मिलियन टन चीनी डायवर्शन से 450-500 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन संभव होगा. विथलानी ने बताया कि उद्योग को 2025-26 मौसम में अतिरिक्त चीनी उपलब्ध होने की चिंता थी, जब निर्यात का कोई समानुपात नहीं था. वैश्विक विश्लेषकों के अनुसार, 2025-26 मौसम में शुरुआती सुक्रोज उपलब्धता 35-36.5 मिलियन टन होगी, जबकि देश को अधिकतम 31 मिलियन टन चीनी की आवश्यकता है.
चीनी से इथेनॉल उत्पादन में अनियंत्रित डायवर्शन से कीमतों में गिरावट रोकी जा सकेगी और मिलों को नकदी प्रवाह में सुधार का अवसर मिलेगा. खाद्य मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ परामर्श में, घरेलू बाजार में मिठास उत्पादों की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए चीनी से इथेनॉल उत्पादन की समय-समय पर समीक्षा करेगा.
केंद्र सरकार पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (OMCs) इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचती हैं. नेशनल पॉलिसी ऑन बायोफ्यूल्स 2018, जिसे 2022 में संशोधित किया गया, ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2030 से बढ़ाकर 2025-26 कर दिया है. (पीटीआई)