Tractor Story: कब हुई पहली बार खेती में ट्रैक्टर की शुरुआत, जानें पूरी डिटेल

Tractor Story: कब हुई पहली बार खेती में ट्रैक्टर की शुरुआत, जानें पूरी डिटेल

भारत में ट्रैक्टर का निर्माण 1959 से शुरू होने की बात कही जाती है. इसी दौर में खेती में भी ट्रैक्टर का इस्तेमाल शुरू हुआ. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1949 में भारत में आयशर गुडअर्थ कंपनी की स्थापना हुई. इस कंपनी को जर्मनी की Gebr का टेक्निकल सहयोग मिला. दोनों कंपनियों ने मिलकर ट्रैक्टर की असेंबलिंग शुरू की.

भारत में ट्रैक्टर की शुरुआत करने का श्रेण आयशर कंपनी को जाता हैभारत में ट्रैक्टर की शुरुआत करने का श्रेण आयशर कंपनी को जाता है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 13, 2023,
  • Updated Apr 13, 2023, 3:23 PM IST

अब हल और बैल का जमाना नहीं रहा क्योंकि खेती अब आधुनिक हो चली है. लिहाजा, बिना ट्रैक्टर खेती के बारे में सोचना मुनासिब नहीं. आज जिस तरह की खेती है, उसी तरह के ट्रैक्टर भी आ रहे हैं. यानी जैसी किसान की जरूरत, वैसा ट्रैक्टर. और इसका सिलसिला लगातार चल रहा है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि भारत में ट्रैक्टर की शुरुआत कब हुई और किस तरह से इसका इस्तेमाल दिनों दिन बढ़ता गया. आप सोच रहे होंगे कि अभी ट्रैक्टर का जिक्र क्यों चल पड़ा. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रैक्टर और उसकी देसी क्रांति से जुड़ी सबसे बड़ी शख्सियत केशब महिंद्रा अब हमारे बीच नहीं रहे. केशब महिंद्रा ऐसी शख्सियत थे जिनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. वे महिंद्रा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रहे हैं.

चलिए इसी घटना से जोड़ते हुए ट्रैक्टर के इतिहास के बारे में कुछ जान लेते हैं. भारत में ट्रैक्टर का निर्माण 1959 से शुरू होने की बात कही जाती है. इसी दौर में खेती में भी ट्रैक्टर का इस्तेमाल शुरू हुआ. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1949 में भारत में आयशर गुडअर्थ कंपनी की स्थापना हुई. इस कंपनी को जर्मनी की Gebr का टेक्निकल सहयोग मिला. दोनों कंपनियों ने मिलकर ट्रैक्टर की असेंबलिंग शुरू की. यहां असेंबलिंग का अर्थ है अलग-अलग पुर्जों को जोड़कर ट्रैक्टर तैयार करना और बेचना. 

ये भी पढ़ें: Keshub Mahindra: 'ट्रैक्टर क्रांति' की शुरुआत करने वाला एक शख्स, सबसे ज्यादा ट्रैक्टर बेचने का है रिकॉर्ड

भारत में सबसे पहले जर्मनी की आयशर कंपनी ने ट्रैक्टर असेंबल करने का काम शुरू किया. 1949-50 के दौरान लगभग 1500 ट्रैक्टर आयात किए गए और बेचे गए. ये सभी ट्रैक्टर असेंबल किए गए थे. इसके बाद 1959 से देश में स्थानीय स्तर पर ट्रैक्टर का निर्माण शुरू हुआ. भारत में यह काम शुरू करने में आयशर का योगदान सबसे प्रमुख रहा. इसी कंपनी ने लोकल स्तर पर पहली बार अपनी फरीदाबाद फैक्ट्री में ट्रैक्टर की असेंबलिंग की. इसके बाद पूर्ण रूप से देसी ट्रैक्टर बनाने का दौर शुरू हुआ.

1965 से 1974 के दौर में भारत में 100 फीसद देसी ट्रैक्टर बनाने का काम शुरू हुआ. दिसंबर 1987 में आयशर कंपनी सार्वजनिक हुई और जून 2005 में आयशर मोटर्स लिमिटेड ने आशयर ट्रैक्टर्स एंड इंजिन को सब्सिडरी कंपनी टैफे के हाथों बेच दिया. फिर यह कंपनी टैफे मोटर्स एंड ट्रैक्टर्स लिमिटेड के नाम से जानी गई. आज इस कंपनी के ट्रैक्टर भारत में बड़ी संख्या में बेचे जाते हैं. दूसरी ओर, Eicher कंपनी Valtra के लाइसेंस के तहत Euro Power और Eicher Valtra ब्रांड के तहत ट्रैक्टर बनाती है. इस तरह भारत में कई ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनियों ने अपना बिजनेस बढ़ाया और आज यह काम लाखों ट्रैक्टर के निर्माण तक पहुंच चुका है.

ये भी पढ़ें: Top 5 Tractor: ये हैं किसानों के लिए बेहद मददगार ट्रैक्टर, जान लें फीचर्स और कीमत, देखें PHOTOS

अब यह भी जान लें किस-किस तरह के ट्रैक्टर होते हैं. तो, जैसी जरूरत वैसे ट्रैक्टर का निर्माण और बिक्री होती है. आज बाजार में यूटिलिटी ट्रैक्टर, कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर, रो क्रॉप ट्रैक्टर्स, इंप्लीमेंट कैरियर ट्रैक्टर, टू-व्हील ट्रैक्टर और गार्डन ट्रैक्टर प्रमुख हैं. इन ट्रैक्टर का जैसा नाम है, वैसा ही इनका काम भी है. यहां सबसे अधिक इस्तेमाल यूटिलिटी ट्रैक्टर का होता है क्योंकि इससे खेती के अलावा ढुलाई आदि का काम भी कर लिया जाता है.

MORE NEWS

Read more!