रीवा के सुंदरजा आम और छत्तीसगढ़ के नगरी दुबराज चावल को म‍िला जीआई टैग

रीवा के सुंदरजा आम और छत्तीसगढ़ के नगरी दुबराज चावल को म‍िला जीआई टैग

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में होने वाला सुंदरजा आम अपनी मनमोहक महक से देश के साथ ही विदेशी लोगों को भी दीवाना बना रहा है. रीवा के सुंदरजा आम के सहित तीन चीजों को जीआई टैग की तमगा मिला है.

रीवा के सुंदरजा आम के बगीचे, फोटो साभार: twitter
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Mar 26, 2023,
  • Updated Mar 30, 2023, 3:07 PM IST

भौगौल‍िक संकेतक (जीआई) टैग से देश के कृष‍ि प्रोडक्ट को नई पहचान म‍िली है. अब तक कई कृष‍ि उत्पादों को जीआई टैग द‍िया जा चुका है. इसी कड़ी में अब मध्यप्रदेश के रीवा के सुंदरजा आम, छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के विशेष किस्म के चावल नगरी दुबराज समेत मुरैना की गजक को जीआई टैग से नवाजा गया है. जीआई टैग मिलने के बाद इन उत्पादों का बाजार में फायदा म‍िलने की उम्मीद है. आइए जानते हैं जीआई टैग होता क्या है और ये कौन देता है. साथ ही जानते हैं क‍ि सुंदरजा आम, दुबराज चावल और मुरैना गजक की पहचान क्या है. 

रीवा का सुंदरजा आम

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में होने वाला सुंदरजा आम अपनी मनमोहक महक से देश के साथ ही विदेशी लोगों को भी दीवाना बना रहा है. रीवा जिले के गोविंदगढ़ के सुंदरवन में सुंदरजा आमों का बहुत बड़ा बगीचा है. कहा जाता है कि सुंदर वन में होने के कारण ही इसका नाम सुंदरजा पड़ा इस आम की कई खासियत हैं. ये आम अपने मोहक सुगंध मिठास और बि‍ना रेसों के लिए जाना जाता है. इसके अलावा हेल्थ के लिए भी यह काफी फायदेमंद होता है. खास करके शुगर के मरीजों के लिए यह रामबाण इलाज है.

मुरैना का गजक

अगर गजक के साथ मुरैना का नाम जुड़ जाए तो लोग इसे क्वालिटी और स्वाद के लिए सर्वश्रेष्ठ मानते हैं. इसी लिए मुरैना की गजक का स्वाद पूरे देश में प्रसिद्ध है. गजक बनाने का काम मुरैना का मुख्य उद्योग है. इस गजक की कई खासियत भी है. इस छोटे जिले में लगभग गजक की एक हजार से अधिक दुकानें हैं. अगर गुड़ और तिल से बनी मिठाइयों की बात आए तो गजक को श्रेष्ठ माना जाता है. ऐसे तो इस गजक का सेवन लोग पूरे साल करते हैं पर सर्दियों में इसे खाना गुणकारी माना जाता है.

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धमतरी का दुबराज धान

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के नगरी दूबराज धान की एक अलग ही पहचान है. नगरी दूबराज धान की खासियत ये है कि यह काफी सुगंधित होती है. इस किस्म की बाजार में काफी अच्छी मांग है और इसे लोग बड़ा चाव से खाना पसंद कर रहे हैं. यह धान औसतन 140 दिन में पक कर तैयार हो जाती है.

ऐसे मिलता है जीआई टैग

किसी भी क्षेत्र की विशेष वस्तु जो उस क्षेत्र के अलावा कहीं और न पाई जाए. उसे विशेष पहचान दिलाने के लिए जीआई टैग दिया जाता है. जीआई टैग उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा जारी किया जाता है जो वाणिज्य मंत्रालय के तहत संचालित होता है. 

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