Indian Rice से नीचे दाम पर बिकता था थाई चावल, अब 75 डॉलर ऊपर है भाव, जानें कहां हुआ खेल

Indian Rice से नीचे दाम पर बिकता था थाई चावल, अब 75 डॉलर ऊपर है भाव, जानें कहां हुआ खेल

भारतीय चावल के दाम दबाव में हैं, लेकिन थाई चावल अचानक प्रीमियम पर क्यों पहुंच गया. कीमतों के इस उलटफेर के पीछे एक बड़ा इंटरनेशनल प्लान और रणनीतिक खरीद छिपी है. पढ़ें पूरी खबर...

Indian Rice Price FallIndian Rice Price Fall
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 27, 2025,
  • Updated Dec 27, 2025, 2:15 PM IST

वैश्विक चावल बाजार में इन दिनों दिलचस्प तस्वीर देखने को मिल रही है. एक ओर थाईलैंड का चावल भारतीय चावल के मुकाबले करीब 75 डॉलर प्रति टन के प्रीमियम पर बिक रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत में रिकॉर्ड उत्पादन और भारी सरकारी भंडार की वजह से कीमतें कई साल के निचले स्तर पर बनी हुई हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह चीन के साथ संभावित सरकारी समझौता और सप्लाई रणनीति मानी जा रही है. पिछले चार महीनों में थाई चावल की कीमतों में 15 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आई है.

थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, थाईलैंड का 5 प्रतिशत टूटे चावल का भाव अगस्त के अंत में 370 डॉलर प्रति टन था, जो अब बढ़कर 430 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गया है. इसके उलट, भारत में इसी श्रेणी का चावल 377 डॉलर से गिरकर 354 डॉलर प्रति टन पर आ गया है, यानी इसमें करीब 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.

15-20 डॉलर महंगा बिकता था इंडियन राइस

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर थाई चावल को भारतीय चावल पर 15 से 20 डॉलर प्रति टन का प्रीमियम मिलता है, जिसमें करीब 15 डॉलर लॉजिस्टिक्स लागत भी शामिल रहती है. लेकिन, इस समय यह प्रीमियम असामान्य रूप से ज्यादा है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और थाईलैंड के बीच प्रस्तावित गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील इसकी मुख्य वजह है. इस डील के तहत जनवरी से मार्च 2026 के बीच शुरुआती तौर पर करीब 1 लाख टन चावल की आपूर्ति की योजना है.

हालांकि, इस समझौते के रास्ते में कुछ अड़चनें भी हैं. जब बातचीत शुरू हुई थी, तब थाई चावल की कीमत 400 डॉलर प्रति टन से नीचे थी. अब दाम तेजी से बढ़ने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या चीन इतनी ऊंची कीमत पर सौदा करेगा. इसके अलावा थाई मुद्रा बात (बाथ) की मजबूती भी एक चुनौती है. ट्रेडर्स के मुताबिक, बात में हर 1 यूनिट की मजबूती से चावल की कीमत लगभग 15 डॉलर प्रति टन बढ़ जाती है.

भारत में चावल का भरपूर स्‍टॉक

दूसरी ओर, भारत में हालात बिल्कुल अलग हैं. भारतीय चावल की कीमतों पर दबाव इसलिए है, क्योंकि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पास भारी स्टॉक मौजूद है. मौजूदा समय में एफसीआई के पास करीब 311.9 लाख टन चावल और 393.8 लाख टन धान है, जिसे प्रोसेस करने पर करीब 263.8 लाख टन चावल बन सकता है. इसके साथ ही देश में इस साल 151 मिलियन टन से ज्यादा के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है, जिससे कीमतों पर और दबाव बन रहा है.

भारत के चावल निर्यात में बढ़ोतरी

हालांकि, कीमतें कम होने के बाद भारत के चावल निर्यात में अच्छी बढ़त देखने को मिली है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत ने 82.8 लाख टन चावल का निर्यात किया, जिसकी कीमत 3.37 अरब डॉलर रही. पिछले साल इसी अवधि में निर्यात 57.7 लाख टन और मूल्य 2.79 अरब डॉलर था. इसके उलट, थाईलैंड के चावल निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है. जनवरी से अक्टूबर के बीच थाईलैंड का निर्यात मात्रा के लिहाज से 24 प्रतिशत और मूल्य के लिहाज से 36 प्रतिशत घटा है.

विशेषज्ञों का कहना है कि चीन सिर्फ कीमत के आधार पर फैसला नहीं करता है. चीन को थाईलैंड से चावल आयात करने में कोटा संबंधी आसानी मिलती है, जबकि भारत से आयात सीमित और किस्म-विशेष पर निर्भर रहता है. इसके अलावा थाई 5 प्रतिशत सफेद चावल की गुणवत्ता चीन के दक्षिणी और तटीय इलाकों की खपत आदतों के ज्यादा अनुकूल मानी जाती है.

वहीं, इसमें चीन की रणनीति भी अहम है. बीते कुछ वर्षों में उसने थाईलैंड से चावल आयात में उतार-चढ़ाव दिखाया है. 2022 में जहां आयात 7.7 लाख टन था, वहीं 2023 और 2024 में यह घटकर करीब 4.5 लाख टन रह गया. 2025 में इसके फिर बढ़कर 7.5 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है. विश्लेषकों के मुताबिक, चीन किसी एक देश पर निर्भरता नहीं बढ़ाना चाहता और संभावित मौसम जोखिमों को देखते हुए अभी ऊंची कीमत पर भी थाई चावल खरीदकर भविष्य का जोखिम कम कर रहा है.

MORE NEWS

Read more!