केंद्र सरकार चीनी निर्यात पर मंजूरी देने के साथ ही न्यूनतम बिक्री मूल्य यानी Minimum Selling Price (MSP) में बढ़ोत्तरी करने की तैयारी में है. जबकि, इथेनॉल के दाम में भी बढ़ोत्तरी की संभावना जताई जा रही है. करीब 5 साल में एक बार भी चीनी का बिक्री मूल्य नहीं बढ़ा है. जबकि, 2 साल इथेनॉल का दाम भी जस का तस है और निर्यात पर भी रोक लगी है. इन वजहों से सहकारी चीनी मिलों, निजी फर्मों और गन्ना किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. केंद्रीय खाद्य मंत्री के हवाले से कहा गया है कि केंद्र सरकार चीनी को लेकर काफी गंभीर है और कई पहलुओं पर विचार किया जा रहा है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही मुश्किलों से छुटकारा मिल सकता है.
खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बीते दिन एक समारोह में कहा कि सरकार इथेनॉल की कीमतें बढ़ाने, चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने और 2024-25 सत्र के लिए चीनी निर्यात को लेकर समीक्षा करने पर विचार कर रही है. खाद्य मंत्री ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय इस मामले पर काम कर रहा है. हम पेट्रोलियम मंत्रालय के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि इथेनॉल की कीमत बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है.
चीनी निर्यात के बारे में खाद्य मंत्री ने कहा कि हम अगले साल के उत्पादन और चीनी की उपलब्धता को देखने के बाद निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि निर्यात पर फैसला स्टॉक को देखकर और उपज की स्थितियों के अनुसार किया जाएगा. जबकि, केंद्र सरकार को इथेनॉल के लिए भी चीनी की जरूरत है. ऐसे में चीनी के निर्यात की मंजूरी को लेकर कारोबारियों को अभी इंतजार करना होगा.
केंद्र सरकार इस बार इथेनॉल की कीमतों को बढ़ाने पर विचार कर रही है. इथेनॉल की कीमतें 2022-23 इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) के बाद से नहीं बढ़ाई गई हैं. गन्ने के रस से बनने वाले इथेनॉल की इथेनॉल का दाम 65.61 रुपये प्रति लीटर है. जबकि, बी-हैवी गुड़ का दाम 60.73 रुपये है और सी-हैवी गुड़ से बनने वाले इथेनॉल की कीमत 56.28 प्रति लीटर हैं. इन कीमतों को सरकार बढ़ाने की तैयारी कर रही है.
खाद्य मंत्री ने कहा कि सचिवों की एक समिति चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श कर रही है. उन्होंने अनुकूल मानसून की स्थिति का हवाला देते हुए अक्टूबर से शुरू होने वाले 2024-25 सत्र के लिए पर्याप्त चीनी उत्पादन की उम्मीद है. बता दें कि फरवरी 2019 से चीनी का बिक्री मूल्य 31 रुपये प्रति किलोग्राम बना हुआ है. इसे बढ़ाया नहीं गया है. इससे सहकारी चीनी मिलें वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं. वहीं, किसानों के गन्ना खरीद का भुगतान भी कई मिलों पर बकाया है. चीनी के एमएसपी में बढ़ोत्तरी से किसानों के भुगतान साफ हो जाएगा.