पंजाब में अब थर्मल पावर प्लांट्स केवल राज्य के भीतर बने बायोमास पैलेट्स ही खरीदेंगे. ये बायोमास पैलेट्स पराली से बनते हैं जिनका इस्तेमाल थर्मल पावर प्लांट में आग जलाने या हीट पैदा करने के लिए किया जाता है. इसे एक तरह का उपला भी कह सकते हैं. यह सख्त आदेश राज्य के मुख्य पर्यावरण अभियंता (वायु) डॉ. करुणेश गर्ग ने सभी थर्मल प्लांट संचालकों को दिए हैं, जिससे हरियाणा से खरीद की पुरानी प्रथा अब समाप्त हो गई है.
पंजाब के निजी पैलेट निर्माताओं ने शिकायत की थी कि मौजूदा खरीद नीतियां हरियाणा की बड़ी कंपनियों के पक्ष में हैं, जिससे स्थानीय छोटे उद्योग हाशिए पर जा रहे हैं. राज्य में करीब 40 पैलेट इकाइयां सक्रिय हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि बायोमास ईंधन एक वैकल्पिक उद्योग के रूप में उभर रहा है.
पटियाला में हुई बैठक में डिप्टी कमिश्नर प्रीति यादव ने थर्मल प्लांट को स्पष्ट निर्देश दिए कि स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाए. फिलहाल प्लांट के 10 में से 4 आपूर्तिकर्ता पंजाब से बाहर के हैं.
सुखबीर सिंह, एक पराली प्रबंधन उद्यमी ने चेताया कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो स्थानीय व्यवसाय बंद हो जाएंगे और पराली प्रबंधन की पूरी योजना विफल हो सकती है. पंजाब हर साल लगभग 2 करोड़ टन पराली पैदा करता है, जिसमें से 1.6 करोड़ टन नॉन-बासमती धान से होती है.
पैडी स्ट्रॉ पैलेट दरअसल कम्प्रेस की गई पराली से बने ठोस जैव ईंधन हैं, जो ताप और बिजली उत्पादन के लिए कोयले का पर्यावरणीय विकल्प हैं. 2023 में CAQM ने पंजाब और हरियाणा को थर्मल प्लांट्स में कम से कम 5% पैलेट मिश्रण को अनिवार्य किया था.
पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए CAQM ने पंजाब सरकार को 'पराली प्रोटेक्शन फोर्स' गठित करने का आदेश दिया है. इस फोर्स में 11,624 गांवों में करीब 10,000 कर्मियों की तैनाती की गई है, जिनमें 5,000 नोडल अफसर, 1,500 क्लस्टर कोऑर्डिनेटर और 1,200 फील्ड अफसर शामिल हैं.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) और पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (PRSC) द्वारा विकसित Action Taken Report (ATR) मोबाइल ऐप के माध्यम से हर फायर केस (पराली जलाने की घटना) की फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद डेली रिपोर्ट भेजना अनिवार्य किया गया है.