राजधानी जयपुर में जल्द ही मौसम की तरह वायु प्रदूषण की चेतावनी भी जारी की जाएगी. इसके लिए आईआईटीएम पुणे और आरएसपीसीबी के बीच एमओयू साइन किया गया है. इस तकनीक के माध्यम से वायु प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सकेगा. साथ ही समय रहते बचाव के उपाय किए जा सकेंगे. प्रदूषण नियंत्रण मंडल का मानना है कि इस काम से प्रदेश की आम जनता को प्रदूषण मुक्त वातावरण उपलब्ध करवाने में बड़ा प्रयास है. इसके अलावा वायु प्रदूषण की सतत निगरानी के लिए प्रदेश में 15 नए सीएएक्यूएमएस केंद्र स्थापित होंगे. इसके लिए भी एनटीपीसी और आरएसपीसीबी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इसके माध्यम से वायु प्रदूषण के विभिन्न मापदंडों पर सतत निगरानी रखी जा सकेगी.
बता दें कि फिलहाल प्रदेश में कुल 43 सीएएक्यूएमएस केंद्र और दो जीपीएस मोबाइल वैन से वायु प्रदूषण की निगरानी की जा रही है.
प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने उद्योगों की ओर से किए जा रहे पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रयासों एवं प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नियमों की पालना सुनिश्चित करने के लिए एन्वॉयरन्मेंटल ऑडिट स्कीम जारी की है. इसके तहत 17 श्रेणी की अत्यधिक प्रदूषण वाले उद्योगों, सभी सीईटीपी,कॉमन ट्रीटमेंट,स्टोरेज एवं डिस्पोजल फैसिलिटीज ऑफ हजार्डियस वेस्ट, म्युनिसिपल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सहित अन्य उद्योगों से सम्बंधित प्रदूषण नियंत्रण के अपनाई जाने वाली कॉमन फैसिलिटीज शामिल की गई हैं.
साथ ही अन्य प्रकार के उद्योग एवं माइन्स को भी इसमें शामिल किया गया है. यह ऑडिट कार्य आरएसपीसीबी के विभिन्न नियमों एवं प्रावधानों के तहत एन्वॉयरन्मेंट ऑडिटर्स की ओर से किया जाएगा. इसके एवज में एन्वॉयरन्मेंट ऑडिटर को 12 हजार रुपये प्रतिमाह का पारिश्रमिक दिया जाएगा.
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प्रदूषण नियंत्रण मंडल और पर्यावरण विभाग ने मर्जर ऑफ़ मल्टीपल कंसेंट स्कीम जारी की. इसके तहत राज्य में ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस को प्रोत्साहित किया जाएगा. साथ ही बोर्ड के अधिकारियों का कार्यभार कम करने के उद्देश्य से अब उद्योगों को नवीनीकरण या संचालन की सम्मति जारी करने के समय एक इकाई के कई सीटीओ (कंसेंट टू ऑपरेट) को एक सीटीओ में विलय करने का निर्णय लिया गया है. इससे उद्यमियों को उद्योग चलाने में जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा.
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विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस के मौके पर आयोजित हुई एक कांफ्रेंस में यह सारी जानकारी सामने आई है. राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने बताया कि पर्यावरण स्वास्थ्य मानव स्वास्थ्य एवं भविष्य से सम्बंधित है.
अग्रवाल ने जयपुर के लिए विकसित किए जा रहे वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान मॉडल, एन्वॉयरन्मेंटल ऑडिट स्कीम, मर्जर ऑफ़ कंसेंट स्कीम, एन्ड ऑफ़ लाइफ व्हीकल के एफएक्यू पर विस्तार से चर्चा कर राज्य में प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में किए जा रहे कामों के बारे में जानकारी दी.