आम का सीजन है और बाजारों में इसकी आवक शुरू हो गई है. ऐसे में आपके मन में ये दिलचस्पी जरूर होगी कि मंडी-हाट या बाजारों में दिखने वाले रंग-बिरंगे और अलग-अलग वैरायटी के आम आखिर कहां से आते हैं? मन में ये भी सवाल होगा कि क्या आमों के भी अपने राज्य होते हैं? जी हां, हर राज्य के अपने कुछ खास किस्म के आम होते हैं, जो अपनी खास स्वाद से दुनिया भर में अपनी पहचान बनाते हैं. ऐसे में आज हम बिहार के 12 ऐसे ही आम की किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं जो न सिर्फ अनोखे स्वाद बल्कि कमाई के लिए भी काफी मशहूर आम है. आइए जानते हैं उनके नाम और खासियत.
चंपारण, खासकर पश्चिम चंपारण और उससे सटे पूर्वी चंपारण के इलाकों में उगने वाला जर्दा आम अपनी अनोखी खुशबू और स्वाद के लिए काफी प्रसिद्ध है. इसकी अनूठी खुशबू और स्वाद किसी अन्य आम में नहीं मिलता. यही इसकी खासियत है. यह कच्चा होने पर भी मीठा होता है. चंपारण की मिट्टी में ये आम उगाना काफी आसान है.
बिहार का भागलपुर जिला जर्दालू आम के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. इसकी सुनहरी पीली त्वचा, अनूठी खुशबू और रसीला स्वाद इसे खास बनाते हैं. जर्दालू आम को भौगोलिक संकेत (GI) टैग भी मिल चुका है, जिससे इसकी पहचान और प्रतिष्ठा और बढ़ गई है.
बिहार के बक्सर जिले का चौसा आम इतिहास और स्वाद दोनों में अनूठा है. यह आम जुलाई के अंत तक बाजार में आता है. इसका सुनहरा पीला रंग, रेशारहित गूदा और अनोखा मिठास इसे विशेष बनाता हैं. अन्य जिलों जैसे कि गोपालगंज में भी इसकी खेती अब धीरे-धीरे बढ़ रही है.
भागलपुर और मिथिलांचल क्षेत्र का गुलाबखास आम अपनी गुलाबी रंग और मनमोहक खुशबू के लिए प्रसिद्ध है. इसका नाम ही इसकी खासियत को बयान करता है. गुलाब जैसी महक और खास स्वाद. ये आम पूरी तरह पकने पर अत्यधिक मीठा होता है. इसका गूदा मुलायम, रेशा रहित और स्वाद में बहुत मीठा होता है.
बिहार के सीतामढ़ी, चंपारण और मिथिलांचल क्षेत्र की शान, बंबइया आम अपनी अनोखी सुगंध और रेशे रहित गूदे के लिए प्रसिद्ध है. यह जल्दी पकने वाली किस्म है, जिसकी खासियत है कि पकने पर भी इसका अधिकांश हिस्सा हरा रहता है पर डंठल के पास पीलापन रहता है. मध्यम आकार और मध्यम मिठास वाला यह आम पूरे देश में लोकप्रिय है. इसे चंपारण में 'सब्जा' या 'सबुजा' भी कहते हैं.
पटना के दीघा का दूधिया मालदा आमों का शहंशाह है. दूध सा मलाईदार स्वाद, पतला छिलका और भरपूर रसीला गूदा इसकी पहचान है. अपनी अनोखी मिठास और सुगंध के लिए बिहार की यह किस्म दुनिया भर में मशहूर है.
बिहार का सिंदूरिया आम अपने नाम की तरह ही खूबसूरत लाल रंग का होता है. भागलपुर, मिथिलांचल और आसपास के क्षेत्रों में उगने वाली यह किस्म अपनी मिठास और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है. यह दुर्लभ किस्म विलुप्ति के कगार पर है. लेकिन हाल ही में कुछ किसानों ने प्रेरित होकर 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम की नई किस्म भी विकसित की है.
इसका गूदा मुलायम, मीठा और कम रेशेदार होता है. यह किस्म मुख्यतः कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, खगड़िया, वैशाली और समस्तीपुर जिलों में उगाई जाती है. लेकिन अब ये किस्म धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर है. बिहार सरकार और कृषि विश्वविद्यालय इसे बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसका स्वाद ले सकें.
सीपिया आम बिहार के समस्तीपुर और मिथिलांचल क्षेत्र की खास पहचान है. इसका आकार शंख (सीप) की तरह होता है और स्वाद में यह बेहद मीठा और रसीला होता है. अगस्त में रक्षाबंधन के समय, जब बाकी आम खत्म हो जाते हैं, तब सीपिया अपनी प्राकृतिक मिठास और सुगंध से आम प्रेमियों का दिल जीत लेता है. दुर्भाग्य से यह किस्म विलुप्त होने के कगार पर है.
बिहार के पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिलों में उगने वाला सुरजापुरी आम अपने अनूठे स्वाद और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है. इस क्षेत्र की विशेष मिट्टी और जलवायु इसे खास बनाती है. वहीं, इन जिलों के किसान इस किस्म से बंपर कमाई भी कर रहे हैं. साथ ही छोटी गुठली और मध्यम आकार के इस आम की मिठास काफी पसंद की जाती है.
उत्तरी बिहार के जिलों में उगने वाला कृष्णभोग आम अपने गोल आकार और मधुर स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. इसे किशनभोग के नाम से भी जाना जाता है. यह गर्मियों के मध्य तक बाजार में मिलने लगता है. इसका मीठा स्वाद और बेहतरीन क्वालिटी इसे बिहार के खास आमों में शामिल करती है. इस आम की खासियत इसका रसीला गूदा और कम रेशा है.
बिहार में आम्रपाली (अमरपाली) आम की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है. कई जिलों के किसान इस किस्म की व्यावसायिक खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं. यह हाइब्रिड (संकर) वैरायटी दशहरी और नीलम का मिश्रण है, जिसमें बीटा कैरोटीन की मात्रा अन्य आमों से अधिक होती है. इसकी गुच्छेदार फल और नियमित उत्पादन इसे विशेष बनाते हैं.