महाराष्ट्र के जालना में किसानों को नाम पर हुए लगभग 35 करोड़ के घोटाले में अब जिला प्रशासन ने एक्शन तेज कर दिया है. जिला प्रशासन ने प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के लिए 34.97 करोड़ रुपये की राशि के गबन में कथित रूप से संलिप्त पाए जाने के लिए ग्राम राजस्व अधिकारियों सहित 11 और अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. मालूम हो कि इससे पहले प्रशासन ने 10 अधिकारियों को सस्पेंड किया था.
जिला कलेक्टर श्रीकृष्ण पांचाल ने गुरुवार शाम को इन 11 राज्य सरकार के कर्मचारियों को निलंबित करने का आदेश दिया. इसके साथ ही अब तक ऐसे कर्मियों की संख्या 21 हो गई है. उन्होंने बताया कि कार्रवाई का सामना करने वाले नए कर्मियों में मध्य महाराष्ट्र के जालना जिले के तहसील कार्यालय में तैनात सात ग्राम राजस्व अधिकारी (तलाठी/पटवारी) और चार सीनियर क्लर्क शामिल हैं. घोटाले के सिलसिले में 13 जून को दस तलाठी को निलंबित कर दिया गया था.
अधिकारी ने बताया कि संबंधित घटनाक्रम में घोटाले में शामिल पाए जाने के संदेह में 35 अतिरिक्त ग्राम राजस्व अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की गई है. जिला अधिकारी के अनुसार, इस घोटाले में प्रतिकूल मौसम की घटनाओं से प्रभावित किसानों की सहायता के लिए मुआवजा आवंटित किया गया था. मुआवजा राशि में से अधिकारियों ने 34.97 करोड़ रुपये की हेराफेरी की.
उन्होंने बताया कि गबन की गई धनराशि कथित तौर पर स्थानीय सरकारी कर्मचारियों के एक नेटवर्क द्वारा निकाली गई, जिसमें तलाठी, ग्राम सेवक और कृषि सहायक शामिल हैं. 13 जून को जिला कलेक्टर ने 10 तलाठी को निलंबित कर दिया था, क्योंकि पता चला था कि कुछ ने व्यक्तिगत रूप से 1 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का गबन किया था. यह घोटाला तब सामने आया जब एक प्रारंभिक ऑडिट में पता चला कि अंबड़ और घनसावंगी तहसीलों के 26 अधिकारी 2022 और 2024 के बीच 34.97 करोड़ रुपये की हेराफेरी में शामिल थे.
अधिकारी के मुताबिक, जांच से पता चला कि फसल मुआवजा देने के लिए फर्जी लाभार्थी बनाए गए थे. इसके लिए लॉगिन क्रेडेंशियल का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया. फर्जी आवेदन करते समय दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की गई और भुगतान प्रक्रिया में भी गड़बड़ी कर एक ही व्यक्ति को कई बार मुआवजा दिया गया. घोटाले की जांच को को लेकर बनाई गई कमेटी में अलग-अलग टीमों 54 अधिकारी शामिल थे. 13 जून तक कई दोषी अधिकारियों से 5.76 करोड़ रुपयों की वसूली की जा चुकी थी. समिति ने 1.19 लाख लाभार्थियों का सत्यापन किया है. घोटाला की परतें किसानों और मुखबिरों की कई शिकायतों के बाद खुली थीं. (पीटीआई)