महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. कभी कहीं से कर्ज में डूबे किसान की आत्महत्या की खबर सामने आती है तो कहीं से फसल का नुकसान होने पर किसान के भयावह कदम उठाने की खबर आती है. अब एक नया मामला बीड जिले से सामने आया है, जहां 46 वर्षीय किसान ने सहकारी समिति से फिक्स डिपोजिट के तौर पर जमा पैसे न मिलने पर सहकारी समिति के कार्यालय के सामने फांसी लगा ली. सुरेश जाधव को सुबह के समय गेवराई शहर में छत्रपति मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के कार्यालय के बाहर लोहे के एंगल से लटका हुआ पाया गया. पुलिस ने सहकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष संतोष भंडारी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है.
एक अधिकारी ने बताया कि मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. किसान सुरेश जाधव गेवराई तहसील के खालेगांव का रहने वाला था. मृतक की पत्नी की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, जाधव ने 2020 में सहकारी समिति में 11.50 लाख रुपये का फिक्स डिपोजिट में निवेश किया था और पिछले दो साल से अपने पैसे वापस लेने के लिए समिति के अधिकारियों से गुहार लगा रहे थे, क्योंकि उन्हें अपनी बेटी और बेटे की कॉलेज शिक्षा के लिए पैसे की जरूरत थी.
एफआईआर में उनकी पत्नी के हवाले से कहा गया है कि छह महीने पहले, जाधव जहर की बोतल लेकर समिति के शाखा कार्यालय गए थे और पैसे वापस न मिलने पर आत्महत्या करने की धमकी दी थी. उस समय तत्कालीन अध्यक्ष ने 2.5 लाख रुपये लौटा दिए थे और आश्वासन दिया था कि शेष राशि दो महीने के भीतर भुगतान कर दी जाएगी, लेकिन कथित तौर पर कोई भुगतान नहीं किया गया.
मंगलवार को जाधव अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ समिति की गेवराई शाखा गए. एफआईआर के अनुसार, शाखा प्रबंधक ने अभद्र व्यवहार किया और उन्हें कार्यालय से निकाल दिया. जाधव की बेटी साक्षी (21) ने बताया कि मेरे पिता मुझे और मेरे भाई को पढ़ाना चाहते थे. उन्होंने सहकारी समिति में निवेश करने के लिए 3.5 एकड़ जमीन बेच दी थी. हमें पैसे वापस नहीं मिले और हमने अपने पिता को भी खो दिया. मैंने स्थानीय कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई पूरी की और NEET की तैयारी के लिए एक साल की छुट्टी ली थी.
साक्षी ने कहा कि इस साल मुझे 222 अंक मिले और मैं BHMS कोर्स में दाखिला लेने की योजना बना रही थी. मेरी काउंसलिंग शुरू होने वाली है. मेरा भाई (शुभम, 18) JEE की तैयारी कर रहा है. मेरे पिता ने हमारे लिए सपने देखे थे और खालेगांव में हमारी जमीन बेच दी थी. अब हमारे पास सिर्फ एक एकड़ जमीन है, जिसमें पानी नहीं है. हम अपनी पढ़ाई के लिए गेवराई चले गए थे. मेरी मां ब्लाउज सिलती थीं और किराया देने के लिए पैसे कमाती थीं.
वहीं, घटना को लेकर बीड के पुलिस अधीक्षक नवनीत कंवत ने कहा कि लोगों को अपना पैसा सावधानी से निवेश करना चाहिए और उस संस्थान के बारे में पूछताछ करनी चाहिए जहां वे निवेश करने की योजना बना रहे हैं. साथ ही, निवेशकों को कोई भी अतिवादी कदम नहीं उठाना चाहिए और इसके बजाय अधिकारियों और पुलिस से बात करनी चाहिए. पुलिस ऐसे मामलों में कानूनी तरीके से मदद करेगी.