बीड में भारी बारिश और कर्ज के बोझ से टूटा किसानों का हौसला, दो महीने में 25 आत्महत्याएं

बीड में भारी बारिश और कर्ज के बोझ से टूटा किसानों का हौसला, दो महीने में 25 आत्महत्याएं

बीड जिले में भारी बारिश के कारण जिले की कई नदियां उफान पर आ गई हैं, जिससे आस-पास की कृषि फसलों को भारी नुकसान हुआ है और किसान हताश हैं. इसी दो महीने की अवधि में जिले के 25 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. किसान हताश हैं, इसलिए किसान सरकार से जल्द से जल्द कर्ज माफ करने की मांग कर रहे हैं. पढ़ें "आज तक' की विशेष रिपोर्ट.

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रोहिदास हातागले
  • BEED (MAHARASHTRA),
  • Oct 06, 2025,
  • Updated Oct 06, 2025, 1:16 PM IST

पिछले आठ से दस दिनों से महाराष्ट्र के बीड जिले में हो रही मूसलधार बारिश ने न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि किसानों की उम्मीदों को भी पूरी तरह डुबो दिया है. जिले की कई नदियां उफान पर हैं, जिससे आसपास की हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है और फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं.

इस प्राकृतिक आपदा का सबसे भयावह पहलू यह है कि पिछले दो महीनों में बीड जिले में 25 किसानों ने आत्महत्या कर ली है. वहीं 1 जनवरी से अब तक यह संख्या 187 तक पहुंच चुकी है.

गांव पांगर बावड़ी से दर्दनाक घटना

बीड तहसील के पांगर बावड़ी गांव में 65 वर्षीय किसान गहिनीनाथ सोपान पवार ने आत्महत्या कर ली. भारी बारिश से उनकी कपास और सोयाबीन की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई थीं. ऊपर से बड़ौदा बैंक का 1.19 लाख रुपये का कर्ज उनके सिर पर सवार था.

उनकी बहू प्रियंका पवार ने बताया, "पिछले तीन सालों से बैंक का कर्ज चल रहा था, जिसे हर साल रिफाइनेंस करवाते थे. इस साल हालात इतने बिगड़ गए कि चुकाना संभव नहीं था. मेरी सास का एक्सीडेंट और खेती की तबाही ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. अगर सरकार पहले कर्ज माफ कर देती, तो शायद मेरे ससुर आज जिंदा होते."

प्रियंका ने कहा, इस साल बारिश हुई और इस बारिश की वजह से खेतों में कुछ भी नहीं बचा. कपास, सोयाबीन, सब कुछ बर्बाद हो गया. अब क्या करें? मेरे भवनी ने यह आत्मघाती कदम उठा लिया. वह मुझसे पूछते रहे कि मैं कर्ज कैसे चुकाऊं. मैंने उनसे कई बार कहा कि कर्ज बढ़ता ही रहेगा, लेकिन आप शांत रहें. लेकिन उन्होंने वही किया जो उन्हें करना था. इसलिए सरकार को इन सब बातों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.

किसान का भवनी बोले – "सरकार ध्यान दे"

किसान के रिश्तेदार भीमा नाइकवाड़े ने भी सरकार से कर्ज माफी की मांग करते हुए कहा, "बहुत बारिश हुई है फसलें बची ही नहीं. मेरे भवनी (संबंधी) बहुत तनाव में थे. मैंने उन्हें समझाया, पर जब उम्मीद की कोई किरण न बचे तो लोग यही करते हैं."

किसानों की सरकार से अपील

बीड जिले के किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि

  • तुरंत कर्ज़ माफ किया जाए
  • प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता मिले
  • बारिश से बर्बाद हुई फसलों के लिए मुआवजा मिले
  • मॉनसून और प्राकृतिक आपदाओं के लिए विशेष राहत पैकेज बने

आंकड़े डरावने हैं:

अगर गौर करें तो पता चलता है कि बीड जिले में किसानों की आत्महत्या का दौर जारी है. चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं. दो महीने की अवधि में 25 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. 1 जनवरी से आज तक 187 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. इसलिए, किसान अब सरकार से जल्द से जल्द उनके कर्ज माफ करने की मांग कर रहे हैं.

अवधिआत्महत्या की संख्या
पिछले 2 महीने25 किसान
1 जनवरी 2025 से अब तक187 किसान

सरकारी अनदेखी भी जिम्मेदार

बीड जिले की यह स्थिति महाराष्ट्र और देश के किसानों की गहराती आर्थिक और मानसिक समस्याओं का प्रतीक बन गई है. यदि समय रहते सरकार ने कदम नहीं उठाए, तो यह संकट और भी भयावह रूप ले सकता है. किसानों को सिर्फ बारिश नहीं मार रही, बल्कि सरकारी अनदेखी भी उनकी जान ले रही है.

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