भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) के तहत मिनी ट्रेड डील को लेकर बातचीत चल रही है. यह डील भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र में आयात नीति और केंद्र सरकार के सख्त रुख के चलते भी अटकी हुई है, ताकि भारत के हितों का नुकसान न हो. वहीं, भारत भी अमेरिका से कुछ मामलों में छूट चाहता है, जिससे इस डील में एक बैलेंस बने और दोनों देशाें को काफी हद तक समान रूप से फायदा हो और व्यापार संबंध मजबूत हों. इस बीच, अब ट्रेड डील फाइनल करने की आखिरी तारीख 1 अगस्त 2025 पर जा अटकी है और भारत की कुछ बातों पर अब अमेरिका ने सहमति जताई है.
"बिजनेसलाइन" की रिपोर्ट के मुताबिक, बातचीत में कृषि क्षेत्र को लेकर भारी खींचतान देखने को मिल रही है. खासकर जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) फसलों को लेकर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. भारत ने साफ कर दिया है कि डेयरी सेक्टर देश के लाखों ग्रामीण परिवारों की आजीविका से जुड़ा हुआ है और इसे किसी भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते में शामिल नहीं किया जा सकता. वहीं सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने इस पर सहमति जताई है, लेकिन उसकी निगाह भारत में सोयाबीन और मक्का जैसी फसलों के निर्यात पर है. ये दोनों फसलें अमेरिका में जीएम तकनीक से उगाई जाती हैं, जिन्हें भारत का मौजूदा कानून अनुमति नहीं देता.
दरअसल, अमेरिका की चिंता उसके चीन के साथ बिगड़ते व्यापारिक रिश्तों से जुड़ी हुई है. चीन पहले अमेरिका से सबसे ज्यादा सोयाबीन और मक्का की खरीद करता था. इसमें करीब 55 फीसदी सोयाबीन और 26 फीसदी मक्का का निर्यात शामिल था, लेकिन अब चीन ने अमेरिका से इन फसलों का खरीदना कम कर दिया है. ऐसे में वह भारत में इन फसलों काे खपाकर नए बाजार में एंट्री चाहता है.
वहीं, भारत अमेरिका को अभी तक कुछ फल, सब्जी और ड्राई फ्रूट्स के आयात पर रियायत देने को तैयार है, लेकिन जीएम फसलों के मामले में सरकार सावधानी बरत रही है. मालूम हो कि देश में सोयाबीन किसानों को वैसे ही बाजार में एमएसपी से कम दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है. सरकार भले ही एमएसपी में बढ़ोतरी कर रही है, लेकिन किसानों को इतना दाम नहीं मिल रहा. वहीं, मक्का किसानों की स्थिति थोड़ी है, लेकिन फसल आयात होने पर उन्हें भी बड़ा झटका लगने की आशंका है.
पिछले कुछ समय से नीति आयोग जैसे संस्थान ने जीएम फसलों की खेती की वकालत की, लेकिन किसान संगठनों और उपभोक्ता समूहों ने इनका कड़ा विराेध जताया है और नीति आयोग ने अपनी वेबसाइट से जीएम फसलों का समर्थन करने वाला डॉक्यूमेंट हटा लिया. अब हाल ही में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने Bayer कंपनी की दो जीएम मक्का किस्मों के फील्ड ट्रायल की अनुमति दी है, जिसके बाद विरोध और तेज हो गया है. भारतीय किसान संघ (BKS) ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसकी अनुमति रद्द करने की मांग की है.
BKS महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने तर्क देते हुए कहा कि 2002 में जब भारत में बीटी कॉटन की शुरुआत हुई थी, तब इसे कीट-प्रतिरोधी बताकर लाया गया, लेकिन कुछ ही वर्षों में कीटों ने इसे भी बर्बाद करना शुरू कर दिया. पहले BG-I फिर BG-II किस्म लाई गई, लेकिन फिर भी समाधान नहीं मिला और तब से इनमें कीटों का हमला हो रहा है. अब इसी तरह मक्का के साथ यह किया जा रहा है तो क्या वाकई में इससे समाधान संभव होगा.