
भारतीय आयातकों ने अमेरिकी हरी मसूर का आयात दोबारा शुरू कर दिया है. आयातकों ने निर्यातकों से कीमतों पर फिर से बातचीत की मांग की है. उनका कहना है कि डील फाइनल होने के बाद से ही दामों में भारी गिरावट आई है. विशेषज्ञों की मानें तो कनाडा और अमेरिका में मसूर का भारी उत्पादन होने की वजह से दालों खासतौर पर हरी मसूर के दामों में तेजी से गिरावट आई है.
एगकोर ट्रेडिंग के अध्यक्ष और सीईओ अमीर मेहदी बुहारी ने अखबार बिजनेसलाइन को बताया, 'भारतीय हरी मसूर की खेपें भेजी जानी शुरू हो गई हैं, लेकिन खरीदार अब बड़ी मूल्य गिरावट के कारण कीमतों को फिर से तय करने की मांग कर रहे हैं.' उन्होंने इसके पीछे कनाडा और अमेरिका में मसूर की भरपूर पैदावार को जिम्मेदार ठहराया है. कनाडा और अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे देशों में भी मटर और मसूर की अच्छी पैदावार हुई है. वहीं अफ्रीकी देशों से अरहर (तुअर) की बेहतरीन फसल की जानकारी भी आ रही है.
भारतीय आयातकों ने जुलाई से सितंबर के बीच अमेरिकी कृषि उत्पादों, खासकर मसूर और बीन्स, का इंपोर्ट रोक दिया था. उन्हें आशंका थी कि भारत सरकार डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा अगस्त में लगाए गए टैरिफ के लिए प्रतिक्रिया दे सकती है. गौरतलब है कि अमेरिका ने सात अगस्त से भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है. अमेरिका का कहना था कि भारत की तरफ से टैरिफ की ज्यादा दरों की वजह से उसने यह फैसला लिया है. लेकिन इसके बाद 27 अगस्त से अमेरिका ने रूस से कच्चा तेल खरीदने पर भारत पर एक्स्ट्रा 25 प्रतिशत टैरिफ और लगा दिया.
बुहारी के अनुसार पिछले साल भारत के लिए किए गए फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स 850 डॉलर प्रति टन के स्तर पर थे. यह अपने चरम पर 1,250 डॉलर प्रति टन तक पहुंचे थे. लेकिन इस साल बाजार का स्तर घटकर 560 डॉलर प्रति टन पर आ गया है.' ग्लोबल पल्सेज कॉन्फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार, इस समय कनाडा की ओर से हरी मसूर 640 डॉलर प्रति टन की दर से ऑफर की जा रही है, जबकि अगस्त में यह 765 डॉलर प्रति टन थी. दूसरी ओर, रूस की ओर से वर्तमान दर 610 डॉलर प्रति टन है, जो अगस्त में 785 डॉलर प्रति टन थी.
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