भारत कृषि और प्रोसेस्ड खाद्य उत्पादों के निर्यात के मामले में नई ऊंचाइयों छू रहा है. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने मंगलवार को लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश का कृषि और संबद्ध उत्पादों का कुल निर्यात 51.9 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया. अब सरकार सिर्फ पारंपरिक उत्पादों पर नहीं, बल्कि उच्च गुणवत्ता और वैल्यू-एडेड एग्री प्रोडक्ट्स के निर्यात को बढ़ाने पर फोकस कर रही है. इसके लिए कई स्तरों पर योजनाएं लागू की जा रही हैं. इन योजनाओं का उद्देश्य आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, उन्नत तकनीक, नवाचार आधारित उत्पादन और बाजार तक पहुंच को बेहतर बनाना है.
मंत्री ने सदन को बताया कि इस दिशा में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) मुख्य भूमिका निभा रहा है. एपीडा न सिर्फ बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है, बल्कि देशभर के निर्यातकों को गुणवत्ता सुधार, बाजार विकास और वैश्विक मानकों पर खरे उतरने के लिए प्रशिक्षण भी दे रहा है. खास बात यह है कि एपीडा की ओर से चलाई जा रही वित्तीय सहायता योजना (FAS) के तहत छोटे-बड़े सभी निर्यातकों को इन तीन प्रमुख क्षेत्रों में मदद दी जाती है.
मंत्री ने कहा कि सरकार की यह रणनीति न केवल वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाएगी, बल्कि किसानों को बेहतर दाम दिलाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी मददगार साबित होगी. एपीडा की मदद से भारत वैश्विक मंच पर अपने एग्रीकल्चर ब्रांड को मजबूत बना रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में सरकार का लक्ष्य उच्च मूल्य वाले कृषि उत्पादों की हिस्सेदारी में बड़ा इजाफा करना है.
बता दें कि भारत निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई देशों के साथ फ्री ट्रेड डील पर भी फोकस कर रहा है. हाल ही में भारत और ब्रिटेन के बीच FTA फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन किया है, जिससे भारतीय किसानों और निर्यातकों को कई उत्पादों का निर्यात शुरू करने और निर्यात बढ़ाने में फायदा होगा. वहीं, इस समझौते में यह भी ध्यान रखा गया है कि इससे भारत के किसानों को घरेलू बाजार में नुकसान न उठाना पड़े.
वहीं, अमेरिका के साथ मिनी ट्रेड डील को लेकर चल रही बातचीत लंबे समय से फाइनल होने के इंतजार में है, लेकिन कृषि उत्पादों खासकर जीएम सोयाबीन और मक्का को लेकर बातचीत खिंंचने की बात कही जा रही है. केंद्र सरकार ने लकीर खींचते हुए इन अमेरिकी कृषि उत्पादों को एंट्री न देने का रवैया अपनाया हुआ है, ताकि घरेलू किसानों को नुकसान न हो. इससे पहले भारत डेयरी पर भी सख्त रुख इख्तियार कर बता चुका है कि वह 'नॉनवेज चारा' खिलाकर पाली गई गायों के दूध से बने उत्पाद स्वीकार नहीं करेगा.