भारत -कनाडा विवाद : भारत ने 1947 से कनाडा के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए और लोकतंत्र, बहुलवाद, आर्थिक जुड़ाव के विस्तार, नियमित उच्च-स्तरीय बातचीत और लंबे समय से चले आ रहे लोगों से लोगों के संबंधों के साझा मूल्यों के आधार पर अपना तालमेल स्थापित किया है. लेकिन खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत के मामले में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद कनाडा और भारत के बीच दूरियां बढ़ गई हैं. मामला यहीं नहीं रुका. इसके बाद कनाडा ने एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को अपने यहां से बर्खास्त कर दिया. भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. दोनों देशों से एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित करने और भारत द्वारा कनाडा के नागरिकों को वीजा नहीं देने की घोषणा से मामला काफी गरमा गया है. दोनों देशों के बीच कुछ व्यापारिक सौदे हुए थे, इसे भी फिलहाल टाल दिया गया है.भारत कनाडा से सबसे ज्यादा मसूर दाल और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) उर्वरकों का आयात करता है,कनाडा और भारत के बीच इन दोनों वस्तुओं का आयात न होने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
अब तक दोनों देश आपसी महत्व के कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. कनाडा और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022 में लगभग 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था. साल 2023 में कनाडा और भारत के बीच 8 अरब डॉलर 67 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था अगर कृषि से जुड़े व्यापार की बात करें तोभारत सबसे ज्यादा मसूर दाल और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) उर्वरकों का आयात कनाडा से करता है. कनाडा और भारत के बीच व्यापार समझौता फिलहाल टाल दिया गया है. इन दोनों वस्तुओं का आयात न होने से दाल महंगी हो सकती है और म्यूरेट ऑफ पोटाश की कमी के कारण म्यूरेट ऑफ पोटाश की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.आने वाले समय में इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार इन दोनों वस्तुओं की आपूर्ति के लिए किस तरह की नीति बनाएगी ?, क्योंकि वैश्विक बाजार में दोनों वस्तुओं के निर्यातक मौजूद हैं.
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भारत हर साल कनाडा से औसतन 4-5 लाख टन दाल आयात करता है.भारत में मसूर दाल की सालना खपत 18 से 20 लाख टन है, लेकिन मसूर दाल का आयात, जो 2020-21 में 11.16 लाख टन के उच्चतम स्तर को छू गया था, साल 2021-22 के दौरान गिरकर 6.67 लाख टन रह गया.साल 2021-22 में देश में मसूर का उत्पादन 12.69 लाख टन मसूर का उत्पादन हुआ था और आंकड़ों के मुताबिक साल 2022-23 में मसूर का उत्पादन 15.99 लाख टन हुआ है.इस तरह देश में जितनी मसूर दाल की जरूरत है, कुल उत्पादन और मसूर दाल आयात के कारण फिलहाल मसूर दाल की कमी होने की कोई ज्यादा संभावना नहीं दिख रही है.भारत के पास ऑस्ट्रेलिया के रूप में बेहतर विकल्प है, ऑस्ट्रेलिया मसूर दाल का एक बडा निर्यातक भी है. पिछले साल भारत ने वर्ष 2022-23 में ऑस्ट्रेलिया से 3.5 लाख टन दाल का आयात किया था.सीमा शुल्क हटने से अमेरिकी दालों का आयात भी बढ़ सकता है, देश में मसूर की बुआई भी अगले महीने से शुरू हो जायेगी.
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कनाडा दुनिया पोटाश के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है,जो दुनिया में सालाना लगभग 130 लाख टन पोटाश का निर्यात करता है. इसमें भारत सबसे बडा आयातक देश है .देश में हर साल 40 से 50 लाख टन पोटाश की जरूरत होती है.इसके लिए भारत कनाडा इजराइल जार्डन , बेलारूस , रूस से पोटाश का आयात करता है.कनाडा से 2022-23 में 11.43 लाख टन पोटाश आय़ात किया था , पिछले साल एक समौझते के अनुसार कैनपोटेक्स, कनाडा भारतीय उर्वरक कंपनियों को 3 साल की अवधि के लिए सालाना15 लाख टन पोटाश कीआपूर्ति करने समझौता हुआ था,अगर समौझते के अनुसार कनाडा भारतीय कंपनियों पोटाश की आपूर्ति करता है कोई दिक्कत नही होगी,अगर ये आपूर्ति बाधित होती है तो दिक्कत का सामना कर पड सकता है. मगर भारत पोटाश के लिए केवल कनाडा पर निर्भ नही है. भारत पोटाश इज़राइल, जॉर्डन, बेलारूस, तुर्कमेनिस्तान और रूस देशों से भी पोटाश आयात करता है.इसलिए भारत के पास पोटाश के लिए विकल्प खुले हुए है. भले ही थोडी देरी हो सकती हैं. लेकिन आने रबी सीजन के लिए किसानों को पोटाश जरूरत होगी.