आर्थिक सर्वे में कृषि सेक्टर का रोल बहुत अहम बताया गया है. पूरे देश की आर्थिक विकास दर में कृषि क्षेत्र खास भूमिका निभा रहा है. 2024-25 की दूसरी तिमाही में इसकी ग्रोथ 3.5 फीसद बताई गई है. यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में कृषि विकास दर मजबूत बनी रहेगी. खासकर पिछले साल मॉनसून की अच्छी बारिश से बंपर उपज के अनुमान में कृषि विकास दर को मजबूत बताया गया है. उसमें भी बागवानी का रोल सबसे प्रमुख बताया गया है.
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि देश का बागवानी सेक्टर परंपरागत खेती की तुलना में अधिक उत्पादक और लाभ देने वाला है. साथ ही यह सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाला सेक्टर है. इसे भारत से होने वाले कृषि निर्यात के संबंध में समझ सकते हैं. बागवानी में अकेले ताजे अंगूर का 343,982 मीट्रिक टन निर्यात किया गया है जिसकी कीमत 3460 करोड़ रुपये है. अमेरिकी डॉलर में यह राशि 417 मिलियन है. अंगूर का यह निर्यात 2023-24 में किया गया है.
देश में अंगूर के प्रमुख उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और मिजोरम शामिल हैं. अंगूर के उत्पादन में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है जहां पूरे देश का 67 परसेंट उत्पादन मिलता है. साल 2023-24 में इसकी सबसे अधिक पैदावार दर्ज की गई. अंगूर की खेती से महाराष्ट्र के हजारों किसानों की आय बढ़ रही है. इसमें नासिक का इलाका सबसे प्रमुख है जहां बहुतायत में इसकी खेती होती है.
नासिक के किसानों ने पिछले साल प्रीमियम क्वालिटी के अंगूर उगाए जो कई देशों में निर्यात किए गए. इस अंगूर को घरेलू मार्केट से अधिक कीमत (65-70 रुपये) विदेशी बाजारों में मिली. इस कमाई की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के किसान अंगूर की खेती की तरफ आकर्षित हुए हैं. इसमें किसानों ने अच्छी उपज पाने के लिए हाईटेक तकनीक का सहारा लिया है. अंगूर से अधिक और क्वालिटी उपज मिले, इसके लिए किसानों ने रियलटाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया है. नासिक में अंगूर की सफल खेती से पता चलता है कि किसान अगर तकनीक का सहारा लेते हुए खेती करें तो सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारी जा सकती है.
आर्थिक सर्वे में बागवानी से इतर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की भी तारीफ की गई है. इसमें कहा गया है कि गेहूं, चावल, दालें, तिलहन और श्री अन्न पर मिलने वाले एमएसपी से किसानों को आय की सुरक्षा मिली है. किसानों को उनकी फसलों के लिए गारंटी के तौर पर न्यूनतम दाम मिल रहा है. इस एमएसपी की मदद से किसान अगली फसल की प्लानिंग भी करते हैं. इससे किसानों को अपनी खेती में लगे रहने और आय बढ़ाने का मौका मिलता है.