लगातार बारिश के कारण हुए भीषण जलभराव ने हरियाणा के झज्जर जिले के 96 गांवों की 15,000 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि को प्रभावित किया है. इससे खरीफ फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है और बड़ी संख्या में किसानों की आय पर भी खतरा पैदा हो गया है. कई इलाकों में तो खेतों पर 2.5 फीट तक पानी जमा है. सिंचाई विभाग की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, बेरी, बहादुरगढ़, साल्हावास और झज्जर ब्लॉक सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. आपको बता दें कि पंजाब और हरियाणा में इस बार मॉनसून ने जमकर कहर बरपाया है.
अखबार ट्रिब्यून ने सिंचाई विभाग के सूत्रों के हवाले से बताया है कि बेरी के तहत 26 गांवों की कुल 5,799 एकड़ जमीन, बहादुरगढ़ के तहत 16 गांवों की 3,410 एकड़ जमीन, साल्हावास के अंतर्गत 12 गांवों की 1,940 एकड़ जमीन और झज्जर ब्लॉक में 12 गांवों की 1,360 एकड़ जमीन गंभीर तौर पर पानी में डूबी हुई हैं. इस प्रभाव को कम करने के लिए, खेतों से पानी निकालने के लिए 500 पंपसेट लगाए गए हैं.
सूत्रों के अनुसार जलभराव से मछरौली के चार गांवों की 925 एकड़, बादली के 14 गांवों की 801 एकड़ और मातनहेल ब्लॉक के 12 गांवों की 795 एकड़ जमीन भी बुरी तरह प्रभावित हैं. उपायुक्त स्वप्निल रवींद्र पाटिल ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में पानी निकालने के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'जलभराव से आवासीय और कृषि दोनों स्तरों पर नुकसान हुआ है. हम वर्तमान में फसल के नुकसान की सीमा का आकलन कर रहे हैं. प्रभावित किसान 15 सितंबर तक ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल के माध्यम से मुआवजे के लिए आवेदन कर सकते हैं.'
इस बीच, झज्जर विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ निवाड़ा, कोंहदरावाली, नीलाहेड़ी, मुंडाहेड़ा, अकेहरी मदनपुर, बिराद, लडायन और बिरोहड़ सहित कई जलभराव वाले गांवों का दौरा किया और जमीनी हालात का जायजा लिया. भुक्कल ने कहा, 'बारिश के कारण ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी सड़कों तक जलभराव हो गया है जिससे रोजाना का जीवन बुरी तरह प्रभावित है.
किसानों को भारी फसल नुकसान हुआ है और उन्होंने अपनी चिंताएं मेरे साथ साझा की हैं. वे नुकसान का तुरंत आकलन और मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.' कांग्रेस विधायक ने राज्य सरकार से मुआवजा प्रक्रिया में तेजी लाने और प्रभावित किसानों को बिना किसी देरी के पर्याप्त राहत सुनिश्चित करने का आग्रह किया.
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