किसानों के लिए आने वाले दिनों में बड़ी राहत की संभावना नजर आ रही है. गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी काउंसिल खाद्य वस्तुओं, कृषि उपकरणों और उर्वरकों पर टैक्स दरों में कटौती पर विचार कर रही है. अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो खेती-किसानी से जुड़े कई इनपुट्स जैसे उर्वरक, डीजल इंजन और कृषि मशीनरी सस्ती हो जाएंगी. इससे किसानों की लागत घटेगी और फसलों की पैदावार में सुधार होगा. साथ ही खाद्य उत्पादों पर टैक्स कम होने से बाजार में मांग बढ़ सकती है जिसका अप्रत्यक्ष फायदा भी किसानों को मिल सकता है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देने वाला साबित होगा.
अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी काउंसिल कृषि उपकरणों पर मौजूदा 12 फीसदी जीएसटी को घटाकर 5 फीसदी करने पर विचार कर सकती है. इसमें फिक्स्ड स्पीड डीजल इंजन, मिट्टी की तैयारी के लिए जरूरी मशीनरी, ड्रिप इरिगेशन नोजल्स, स्प्रिंकलर और बाकी दूसरी मशीनें भी शामिल हैं. केंद्र ने उर्वरक बनाने में प्रयोग किए जाने वाले सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया पर जीएसटी दर 18 फीसदी से से घटाकर 5 फीसदी करने और उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ) के तहत रजिस्टर्ड माइक्रोन्यूट्रिएंट्स पर जीएसटी दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा है. काउंसिल ट्रैक्टर के टायर और ट्रैक्टर में इस्तेमाल होने वाले डीजल इंजन पर भी टैक्स दर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने पर विचार कर सकती है.
सरकार ने पहले ही ताजे फल, सब्जियों, अनाज, दालें और दूध जैसे प्रोसेस्ड एग्री प्रॉडक्ट्स पर जीएसटी छूट दी हुई है. लेकिन प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स जैसे तेल और डेयरी उत्पादों पर 5 फीसदी से 12 फीसदी तक टैक्स दरें लागू हैं. ऐसे में अगर जीएसटी घटता है तो न सिर्फ किसानों की लागत कम होगी बल्कि उपभोक्ताओं को भी सस्ते दामों पर खाद्य वस्तुएं मिलेंगी. सूत्रों के अनुसार, अल्ट्रा-हाई टेंपरेचर (UHT) दूध, पनीर, पिज्जा ब्रेड, खाखरा, रोटी और पराठे जैसे कई उत्पादों पर मौजूदा 5 फीसदी से 18 फीसदी जीएसटी दर पूरी तरह खत्म करने का प्रस्ताव दिया गया है. वहीं कंडेंस्ड मिल्क, चीज, सॉसेज, रिफाइंड शुगर, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स और नारियल पानी जैसे खाद्य पदार्थों पर जीएसटी दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने पर चर्चा की जा सकती है.
इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने कहा कि खाद्य तेलों पर भले ही 5 प्रतिशत जीएसटी है, लेकिन उनकी पैकेजिंग, केमिकल्स और प्रोसेसिंग से जुड़े कच्चे माल पर 12 से 18 प्रतिशत तक टैक्स है. इससे बड़ी मात्रा में इनपुट टैक्स क्रेडिट का उपयोग नहीं हो पाता और खासकर एमएसएमई रिफाइनर्स की कार्यशील पूंजी पर बोझ बढ़ता है. इसी तरह, फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) ने भी कच्चे माल जैसे अमोनिया और सल्फ्यूरिक एसिड पर जीएसटी दर 5 प्रतिशत करने और निर्माताओं को जमा हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट की वापसी की मांग की थी. संगठन ने आगाह किया था कि इनपुट टैक्स क्रेडिट की यह रुकावट इंडस्ट्री की कार्यशील पूंजी और समय पर कच्चे माल और उर्वरकों की उपलब्धता पर असर डाल रहा है.
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